
राजस्थान के कोटा के जेके लोन सरकारी अस्पताल में दिसंबर माह में बच्चों की मौत का आंकड़ा 91 पहुंच गया है. इसके बावजूद अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी है. राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा का सबसे बड़ा मातृ एवं शिशु सरकारी अस्पताल जे के लोन की हालत खस्ता है.
अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी है. इस अस्पताल में कोटा और आसपास के कई जिलों, जैसे कि झालावाड़, बारा, बूंदी और अन्य प्रदेशों से मरीज और उनके परिजन आते हैं. अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं, डॉक्टरों नर्सों और सुविधाओं की भारी कमी है. 'आज तक' ने अस्पताल में मौजूद कई मरीजों के परिवारजनों से बात की जिन्होंने दावा किया कि अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है. उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सा उपकरणों के आभाव और डॉक्टरों की कई बार अनदेखी करने की वजह से अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं चरमराई हुई हैं.
"दिक्कतें तो बहुत सारी हैं. गंदगी बहुत है यहां पर संक्रमण का कारण यही है.", एक मरीज के पिता ने कहा. 'आज तक' ने पाया कि अस्पताल में दिसंबर के माह में बच्चों की मौत को लेकर मचे राजनीतिक बवाल के बावजूद अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं चरमराई हुई थीं. चिकित्सा अधीक्षक ने 'आज तक' से बातचीत में यहां तक कहा कि अस्पताल में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है और जरूरत है कि अस्पताल को ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर मिले. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले यह दावा कर चुके हैं कि जेके लोन अस्पताल में इस साल हुई मौतें पिछले 6 सालों में सबसे कम हैं.
कोटा के सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को जेके लोन अस्पताल पहुंचे और वहां पर चिकित्सा सेवाओं की सुध ली. 'आज तक' से बातचीत में बिरला ने कहा कि सरकार को ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है.
ओम बिरला, कोटा सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष, ने 'आज तक' से कहा, "मेरा मानना है कि हम ऐसी चिकित्सा व्यवस्था करें की एक भी बच्चे की मौत ना हो उसके लिए जो इंतजाम होने चाहिए वह सब करने का प्रयास करना चाहिए ... निश्चित रूप से सरकार को संवेदनशील होना चाहिए और ऐसे मौके पर जब 48 घंटे के अंदर या 1 महीने में इतनी मौतें हो गई उस पर तुरंत कार्यवाही करना चाहिए."
पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों और नर्सों का ना होना, चिकित्सा उपकरणों की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर की बदहाली और अन्य दिक्कतों से जेके लोन सरकारी अस्पताल जूझ रहा है. आईसीयू में एक – एक बिस्तर पर दो या 3 बच्चों का होना भी संक्रमण के फैलने के पीछे का एक कारण हो सकता है. अस्पताल में फैली गंदगी, खस्ता हाल इमारत भी देखी जा सकती थी. "अस्पताल में क्या दिक्कत इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ है इतनी जगह नहीं है वही डिमांड हम लगातार कर रहे हैं ... इलाज एक अलग प्रक्रिया है और बीमार मरीजों का इलाज एक अलग प्रक्रिया है. बीमार मरीजों को बचाना बहुत मुश्किल होता है.", जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक सुरेश चंद दुलारा ने 'आज तक' से कहा.