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भारत-PAK के बीच शांति प्रक्रिया रोकने वाले दक्षिण एशिया के दुश्मन: मीरवाइज

मीरवाइज का मानना है कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाहौर में अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ हुई बैठक में न केवल दोनों देशों के लोगों बल्कि समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को उम्मीद की एक नई किरण मिली है.

मीरवाइज उमर फारूक (फाइल) मीरवाइज उमर फारूक (फाइल)
लव रघुवंशी/BHASHA
  • श्रीनगर,
  • 27 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

जम्मू-कश्मीर के नरमपंथी अलगावादी समूह ने भारत-पाकिस्तान के शीर्ष राजनीतिक वर्ग से अनुरोध किया कि दोनों देशों में गड़बड़ी पैदा करने वालों को दोनों देशों के संबंधों में आई हालिया गर्माहट के बाद शांति के माहौल को बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाए.

मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कांफ्रेंस ने उम्मीद जतायी कि दोनों देश 'साहसी तरीके से' शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे और कश्मीर सहित सारे लंबित मामलों का हल निकालेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समूह सरकार से बात करने में संकोच नहीं करेगा तथा कोई भी बातचीत केवल खुले दिल और दिमाग से होनी चाहिए.

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पीएम मोदी की लाहौर यात्रा एक नई किरण
मीरवाइज का मानना है कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाहौर में अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ हुई बैठक में न केवल दोनों देशों के लोगों बल्कि समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को उम्मीद की एक नई किरण मिली है. उन्होंने बताया, 'मैं केवल यह उम्मीद कर सकता हूं कि कई स्पीड ब्रेकरों के बाद शुरू हुई यह प्रक्रिया गति पकड़े तथा दोनों देश मिलकर बैठें एवं कश्मीरी लोगों को शामिल करते हुए कश्मीर सहित सभी लंबित मामलों का हल तलाशें.' बहरहाल, उन्होंने यह आशंका जताई कि कट्टरपंथी तत्व, जो क्षेत्र में शांति के विरूद्ध हैं, शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने की कोशिश और हताशा भरे प्रयास करेंगे.

उन्होंने कहा, 'दोनों ही प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हुए हैं और उन्हें अपने देशों में सशक्त जनादेश मिला है. यदि उन्हें शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है तथा ऐतिहासिक कदम उठाना है तो यह महत्वपूर्ण है कि प्रक्रिया को दोनों देशों में राजनीतिक विपक्ष एवं आम जनता का सहयोग मिले.'

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वार्ता के बीच में आने वाला दक्षिण एशिया का शत्रु
मीरवाइज ने कहा, 'कोई भी दल या समूह जो शांति हासिल करने के प्रयासों के बीच में आता है, वह दक्षिण एशिया के लोगों का शत्रु है. भारत एवं पाकिस्तान के नेतृत्व को सभी शेयरधारकों विशेषकर कश्मीर के लोगों को शांति प्रक्रिया में योगदान देने और हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करना चाहिए और उन्हें शामिल करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि गड़बड़ी पैदा करने वालों पर लगाम कसनी चाहिए ताकि मुद्दे का हल हो सके और दक्षिण एशिया क्षेत्र में शांति कायम हो सके.

सैयद अली शाह गिलानी सहित कुछ कट्टरपंथी अलगावावादी समूहों के बारे में पूछने पर मीरवाइज ने कहा, 'कश्मीर में हर कोई शांतिपूर्ण वार्ता और संपर्क का समर्थन करता है. मेरी सीधी सी बात है कि हमारा हुर्रियत कांफ्रेंस में मानना है कि कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है तथा इसका बातचीत के जरिये इसका समाधान किया जाना चाहिए.' मीरवाइज ने कहा, 'मैं इस बात को कई बार कह चुका हूं कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद का विषय बनने के बाद मित्रता का सेतु बने.'

यह पूछे जाने पर कि क्या हुर्रियत कांर्फ्रेस केन्द्रीय नेतृत्व से बातचीत करने के लिए इच्छुक है, उन्होंने कहा, 'हम कश्मीर मुद्दे को लक्ष्य बनाकर बात करने से कभी नहीं हिचकिचाएं, भले ही वह भारत हो या पाकिस्तान.' उन्होंने कहा, 'हमने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ-साथ परवेज मुशर्रफ से बातचीत की थी और आगे बढ़ने के लिए कुछ सुझाव दिये थे. हुर्रियत किसी भी ऐसी गंभीर प्रक्रिया से संकोच नहीं करेगी जिसका मकसद सभी पक्षों को शामिल करते हुए कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालना हो.'

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