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#MeToo: अकबर के इस्तीफे से पहले सरकार ने कराई थी आरोपों की जांच

अपनी सत्ता के अंतिम वर्ष में चल रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में आखिरकार किसी आरोप के कारण किसी पहले मंत्री का इस्तीफा हो ही गया. हालांकि मीटू कैंपेन के कारण अपना पद गंवाने वाले अकबर का इस्तीफा इतनी आसानी से नहीं हुआ.

एमजे अकबर (फाइल फोटो, PTI) एमजे अकबर (फाइल फोटो, PTI)
हिमांशु मिश्रा/सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

एक ओर एमजे अकबर पर #MeToo कैंपेन के तहत एक के बाद एक लगते आरोप तो दूसरी ओर 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में फंसी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और केंद्र सरकार की चिंता लगातार बढ़ाए जा रही थी.

सूत्रों की माने एमजे अकबर पर #MeToo के बढ़ते आरोपों की फौरी तौर प्राथमिक जांच के लिए सरकार ने अपने स्तर पर जांच की. शुरुआती जांच में कुछ तथ्य एमजे अकबर के खिलाफ आए. प्राथमिक जांच के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने एमजे अकबर से मुलाकात कर जांच के बारे में तथ्यों की जानकारी दी.

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उसके बाद अजित डोभाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर एमजे अकबर पर लगे आरोपों की जांच में पाए गए तथ्यों की जानकारी दी.

रामलाल ने जानी मंत्रियों की राय

सूत्रों की माने तो बुधवार को एमजे अकबर ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा. उसके बाद पार्टी के संगठन महामंत्री रामलाल ने बीजेपी नेतृत्व और सरकार के बड़े मंत्रियों से बात कर पूरे मामले में उनकी राय ली. रामलाल ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सभी नेताओं से बातचीत का ब्यौरा दिया.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एमजे अकबर पर लगे आरोपों के बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की राय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया और उसके बाद ही पीएम मोदी और अमित शाह ने फैसला लिया कि अकबर को इस्तीफा देना होगा. पीएम मोदी और अमित शाह के फैसले की जानकारी रामलाल ने एमजे अकबर को दी और उनसे कहा वो मंत्री पद से इस्तीफा सौंप दें.

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संघ भी था नाराज

एमजे अकबर पर लेंगे आरोपों से राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) भी नाराज था. संघ नेताओं ने अकबर को लेकर अपनी नाराजगी पीएम मोदी और पार्टी नेतृत्व को बता दी थी. संघ की चिंता थी कि जिस तरह से अकबर पर आरोप लगाने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. उससे उनका मोदी सरकार में मंत्री बने रहना सरकार और पार्टी के खिलाफ जनता में एक संदेश जा रहा हैं, इसलिए अकबर को बिना देरी किए उनसे इस्तीफा लेना चाहिए.

मामले को बढ़ता देख संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने एमजे अकबर के खिलाफ के सोशल मीडिया पर एक लेख समर्थन करते हुए लिखा था ट्वीट किया था जो आपने लिखा हैं वो उनकी भी भावना हैं.

कोई कुछ भी कहे पीएम मोदी और अमित शाह ने विधानसभा चुनावों में #MeToo कैंपेन में एमजे अकबर के खिलाफ लगातार बढ़ते के आरोपों को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता देख और संघ के दबाव के बाद थोड़ा देर से सही लेकिन नुकसान होने से अकबर से इस्तीफा लेने का कड़ा फैसला लिया. जिन आरोपों के चलते एमजे अकबर ने इस्तीफा दिया है उससे मोदी सरकार और पार्टी की बहुत किरकिरी हुई है.

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