
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को एक साल पूरा हो रहा है. पहले साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने कई अहम फैसले लिए, कई फैसलों को लेकर चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा. लेकिन, इसी साल एक ऐसा कार्यक्रम भी हुआ जिसने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं, विवाद भी हुआ लेकिन ख़बरों में बना रहा. इस साल फरवरी के महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आए, यहां अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें एक लाख से अधिक लोग शामिल हुए.
भारतीय मीडिया, अमेरिका मीडिया समेत दुनियाभर की मीडिया में इस कार्यक्रम ने सुर्खियां बटोरीं. इसके अलावा भारत और अमेरिका के बीच दशकों से जारी दोस्ती को एक नया मुकाम देने का संदेश देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से सफल रहे. हालांकि, इस दौरान कार्यक्रम के खर्च, कार्यक्रम के दौरान दिल्ली में भड़की हिंसा को लेकर लगातार विवाद भी होता रहा. ट्रंप के भारत दौरे का क्या असर रहा, समझें...
हाउडी मोदी की तर्ज पर नमस्ते ट्रंप
इस साल की शुरुआत जब हुई तो इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस साल गणतंत्र दिवस की परेड देखने आ सकते हैं. लेकिन, कुछ ही वक्त के बाद व्हाइट हाउस की ओर से इसका खंडन किया गया. फिर फरवरी महीने के आखिरी हफ्ते में डोनाल्ड ट्रंप का तीन दिवसीय भारत दौरा तय हुआ. यह पहली बार रहा, जब अमेरिकी राष्ट्रपति किसी आधिकारिक दौरे पर अपने परिवार के साथ गए हो.
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डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत की भारत में तैयारियां शुरू हुईं और तय हुआ कि अहमदाबाद में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन होगा. अहमदाबाद के क्रिकेट स्टेडियम में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें एक लाख से अधिक लोग शामिल हुए. कार्यक्रम से पहले डोनाल्ड ट्रंप काफी उत्साहित थे और अमेरिका में कई बार कहा कि भारत जाने पर 5 से 7 मिलियन लोग उनके स्वागत में जुटेंगे.
बता दें कि इससे पहले जब पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे, तब ह्यूसटन में हाउडी मोदी कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. जहां एक लाख के करीब भारतीय जुटे थे, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल हुए थे. इसी तर्ज पर अहमदाबाद का कार्यक्रम हुआ.
मोटेरा स्टेडियम में दिखी मोदी-ट्रंप की दोस्ती
भारत और अमेरिका की दोस्ती के लिहाज से ये कार्यक्रम काफी अहम साबित हुआ, जहां दो बड़े देशों के नेता एक मंच पर एक सुर में बात कर रहे थे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यहां भारत को सच्चा दोस्त बताया, तो वहीं पाकिस्तान को इस्लामिक आतंकवाद को लेकर नसीहत भी दे डाली. जिस वक्त डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामिक आतंकवाद की बात की, तो स्टेडियम में सबसे ज्यादा शोर उठा.
दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम में अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि दो देशों के संबंधों का सबसे बड़ा आधार विश्वास होता है, भारत और अमेरिका के रिश्ते नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं.
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ट्रंप के दौरे से भारत को क्या मिला था?
अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे से पहले हर किसी को उम्मीद थी कि भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील फाइनल हो सकती है. ट्रेड, टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिका में काफी वक्त से तकरार चल रही थी, लेकिन इसपर कुछ फाइनल ना हो सका. हालांकि, दोनों देशों ने 3 अरब डॉलर की डिफेंस डील पर साइन किया. जिसके तहत भारत अपाचे और एमएच 60 रोमियो हेलिकॉप्टर के अलावा कई हथियार खरीदेगा. इसके अलावा 5G, FTA, सामरिक समझौते जैसे बड़े मसलों पर दोनों देशों के बीच बात आगे बढ़ी.
...और जब विवादों में आया नमस्ते ट्रंप!
ऐसा नहीं रहा कि नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम को लेकर कुछ विवाद ना हुआ हो. कांग्रेस की ओर से कार्यक्रम पर हो रहे सौ करोड़ रुपये के खर्च का मसला उठाया गया, तो वहीं आयोजकों को लेकर सवाल खड़े किए गए. इसके अलावा जब डोनाल्ड ट्रंप भारत में थे, तब राजधानी दिल्ली में हिंसा शुरू हो गई थी जो तीन दिनों तक चली. इतना ही नहीं, जब दिल्ली में दोनों देशों के शीर्ष नेता मिल रहे थे, तब दिल्ली में हिंसा जारी थी. इसको लेकर डोनाल्ड ट्रंप से सवाल भी हुआ था, लेकिन उन्होंने इसे अंदरूनी मसला बताया.
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संदेश देने में कामयाब रहे मोदी?
बीते 6 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को लेकर कई तरह के सवाल उठे हैं, लेकिन मोदी का मंत्र हमेशा यही रहा है कि वह सामने वाले नेता के साथ पर्सनल टच बनाते हैं जिसका फायदा देश की नीतियों में मिलता है. यही असर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरान भी मिला. जहां दोनों नेता बार-बार गले मिलते दिखे, नमस्ते ट्रंप के अलावा साबरमती आश्रम में डोनाल्ड ट्रंप का जाना, फिर ताजमहल होते हुए दिल्ली के लिए निकलना.
वहीं, इसका भारत-अमेरिका के कामकाज पर असर भी पड़ा. ट्रेड डील कुछ आगे बढ़ी तो डिफेंस डील पक्की हुई. इसके बाद अब जब कोरोना वायरस महामारी का संकट आया, तो अमेरिका के संकट के वक्त में भारत ने ही आगे बढ़कर हाइडॉरोक्सीक्लोरोक्वीन की मदद पहुंचाई.
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