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चीन को एक और झटका, चीनी सामानों पर अब कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी

चीन से आयात होने वाले सामानों पर सरकार कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकती है. हालांकि, अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. गैर-जरुरी सामानों के आयात में कटौती की कोशिश है.

चीनी सामानों पर अब कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी (फाइल फोटो- PTI) चीनी सामानों पर अब कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी (फाइल फोटो- PTI)
ऐश्वर्या पालीवाल
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST

  • मोदी सरकार कस्टम ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर रही
  • भारत के कुल आयात का लगभग 14 प्रतिशत चीन से आता है

चीन से जारी तनाव के बीच मोदी सरकार कस्टम ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर रही है. चीन से आयात होने वाले सामानों पर सरकार कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकती है. हालांकि, अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. गैर-जरुरी सामानों के आयात में कटौती की कोशिश है. फिलहाल वाणिज्य मंत्रालय इसे लेकर वित्त मंत्रालय से चर्चा कर रहा है.

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भारत के कुल आयात का लगभग 14 प्रतिशत चीन से आता है. अप्रैल 2019-फरवरी 2020 के बीच, भारत ने 62.4 बिलियन डालर का सामान आयात किया है, जबकि पड़ोसी देश में निर्यात 15.5 बिलियन डालर था.

ये भी पढ़ें- चीन पर पहला एक्शन, चीनी कंपनी से 471 करोड़ का ठेका रेलवे ने किया रद्द

चीन से आयात किए जाने वाले मुख्य सामान में घड़ियां, खिलौने, खेल के सामान, फर्नीचर, गद्दे, प्लास्टिक, बिजली के उपकरण, रसायन, लोहा और इस्पात की वस्तुएं, खनिज ईंधन शामिल हैं.

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सबक सिखाने में जुटा भारत

बता दें कि लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की करतूत के बाद भारत अब उसे सबक सिखाने में जुट गया है. इससे पहले भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से अपना एक करार खत्म कर दिया. 2016 में चीनी कंपनी से 471 करोड़ का करार हुआ था, जिसमें उसे 417 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगाना था. सरकार BSNL और MTNL को पहले ही निर्देश दे चुकी है कि वो चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कम करें.

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वहीं व्यापारिक संगठन कैट ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार और भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियान को और अधिक तेज करने का फैसला किया है. संगठन ने 500 सामानों की सूची तैयार की है, जिससे चीन से नहीं मंगाने का फैसला लिया गया है.

गौरतलब है कि देश में चीन विरोधी माहौल चरम पर है. सोशल मीडिया पर तो जबरदस्त अभियान चल रहा है कि चीनी कंपनियों के माल का बहिष्कार किया जाए. आरएसएस से जुड़ा स्वदेशी जागरण मंच यह मांग कर चुका है कि चीनी कंपनियों को भारतीय प्रोजेक्ट्स के ठेके न दिए जाएं.

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