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मुस्लिम दम्पति की संस्था सिखाएगी 21 जून को योग

योग को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों की तरफ से भले ही आपत्ति के स्वर उभर रहे हों, पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 21 जून को इस अभियान को कामयाब बनाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने एक ऐसे सामाजिक संगठन को भी सौंपी है, जिसे एक मुस्लिम दम्पति संचालित करता है.

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aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 16 जून 2015,
  • अपडेटेड 12:18 AM IST

योग को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों की तरफ से भले ही आपत्ति के स्वर उभर रहे हों, पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 21 जून को इस अभियान को कामयाब बनाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने एक ऐसे सामाजिक संगठन को भी सौंपी है, जिसे एक मुस्लिम दम्पति संचालित करता है.

अख्तर और उनकी पत्नी शाइस्ता द्वारा संचालित की जा रही ‘मुहम्मद सईद मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी’ को आयुष मंत्रालय की केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शोध परिषद ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में योग शिविर आयोजित करने के लिए चुना है.

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शाइस्ता ने बताया, 'मंत्रालय ने हमारी संस्था को चुना है. हम पिछली 21 मई से योग प्रशिक्षण का कार्यक्रम चला रहे हैं.' उन्होंने बताया, 'संस्था को 100 लोगों को प्रशिक्षित करना था, लेकिन अब ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ रहे हैं. हमें उम्मीद है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर करीब 200 लोग योग सत्र में हिस्सा लेंगे. इसके लिए जगह का चयन 18 जून को किया जाएगा.'

शाइस्ता ने बताया कि उनके शौहर पिछले 10 साल से योगाभ्यास कर रहे हैं. शुरू में तो उन्होंने इसे शौक के तौर पर लिया था, लेकिन जब उन्हें अच्छा महसूस होने लगा तो उन्होंने कोच्चि जाकर इसका बाकायदा कोर्स किया था. उन्होंने बताया कि 21 जून को योग सत्र में आयुष चिकित्सकों को भी खासतौर से बुलाया जाएगा, जो प्रतिभागियों को विभिन्न बीमारियों, उनके इलाज, दवाओं तथा योग के फायदों के बारे में बताएंगे.

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शाइस्ता ने बताया कि इस समय उनके पास 15-16 मुस्लिम योग सीख रहे हैं, लेकिन यह तय नहीं है कि वे 21 जून को आयोजित होने वाले सामूहिक सत्र में हिस्सा लेंगे या नहीं.

शाइस्ता ने कहा, 'चूंकि 21 जून तक रमजान शुरू हो चुका होगा, लिहाजा यह कहना मुश्किल है कि मुस्लिम प्रतिभागी उस दिन योग सत्र में शामिल होंगे, लेकिन हम उनसे कहेंगे कि जब उन्होंने 30 दिन तक प्रशिक्षण लिया, तो एक और दिन इसमें शरीक होने में क्या हर्ज है.' योग को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हम लोगों से कह रहे हैं कि अगर उन्हें योग के दौरान मंत्रोच्चार करने से परेशानी है तो वे अल्लाह के नाम या कुरान शरीफ की आयत का उच्चारण कर सकते हैं.'

योग को लेकर विवाद को राजनीति से प्रेरित बताते हुए शाइस्ता ने कहा कि क्या इससे पहले योग नहीं होता था. योग दिवस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल की तो इस पर आपत्तियां उठ रही हैं. अगर इसे किसी मुसलमान ने शुरू किया होता तो किसी को कोई दिक्कत ना होती. उन्होंने कहा कि योग मात्र व्यायाम नहीं बल्कि यह दिमागी कसरत भी है. यह बाह्य के साथ आंतरिक चीज भी है.

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इनपुट: भाषा

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