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मॉनसून सत्र: 5 बड़े मुद्दे जिनपर सरकार और विपक्ष में होगा टकराव

सत्र से ठीक पहले केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने का फैसला किया है. लेकिन विपक्षी इसे चुनावी लॉलीपॉप बता रहे हैं. सरकार के इस फैसले से किसानों का एक तबका भी नाराज है क्योंकि बीजेपी ने 2014 में ही किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था.

भारतीय संसद (फोटो- Getty Images) भारतीय संसद (फोटो- Getty Images)
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 5:56 PM IST

केंद्र की मोदी सरकार के 4 साल में पिछला बजट सत्र कामकाज के लिहाज से सबसे हंगामेदार सत्र रहा और यही हाल इस मॉनसून सत्र का भी हो सकता है. क्योंकि जहां एक ओर पिछले मुद्दे सुलझे नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर हंगामे की वजह बनने वाले नए मुद्दे इस दौरान खड़े हुए हैं. पिछली बार आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा, अविश्वास प्रस्ताव, SC/ST एक्ट हंगामे की मुख्य वजह बने तो इस बार भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिनपर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव तय है.

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किसानों का मुद्दा

सत्र से ठीक पहले केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने का फैसला किया है. लेकिन विपक्षी इसे चुनावी लॉलीपॉप बता रहे हैं. सरकार के इस फैसले से किसानों का एक तबका भी नाराज है क्योंकि बीजेपी ने 2014 में ही किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था. अब इस मुद्दे पर संसद में घमासान तय है क्योंकि 2019 का चुनाव सिर पर है और विपक्ष किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा. इसके अलावा पेट्रोल-डीजल और कीटनाशकों के दामों में बढ़ोतरी से किसानों को होने वाले नुकसान पर भी विपक्ष और सरकार के बीच टक्कर होनी तय है.

मॉब लिंचिंग

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर हमेशा से सियासत हावी रही है. बीते 2 माह से बच्चा चोरी की अफवाह ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा है. वाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल साइट्स से फैलने वाली इन अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कदम उठाए गए हैं. इस मुद्दे का सदन में उठना तय है और विपक्ष इस पर गृह मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांग सकता है. बता दें कि बीते 2 महीनों में ही अफवाहों के चलते मॉब लिंचिंग की 16 घटनाएं हुई हैं जिनमें 22 लोगों की मौत हो चुकी है.

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ये भी पढ़ें: मॉनसून सत्र में इन चेहरों पर रहेगी नजर, सियासी रुख तय करेगा कामकाज 

कश्मीर की सियासत

जम्मू कश्मीर में 3 साल की दोस्ती के बाद बीते दिनों बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया और अब राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया है. बीजेपी ने राष्ट्रहित में गठबंधन तोड़ने की दलील दी है तो विपक्ष ने इसे सरकार की कश्मीर नीति के विफल रहने का सबूत बताया है. विपक्ष का आरोप है कि घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगाने में बीजेपी पूरी तरह विफल रही है. इस सत्र के दौरान कश्मीर की सियासत और गठबंधन टूटने पर हंगामे के आसार हैं. इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत अन्य विपक्षी दल कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग भी कर सकते हैं.

आर्थिक अपराधी

संसद में नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों से जुड़ा विधेयक लंबित है और सरकार अब तक इन भगौड़ों को स्वदेश वापस लाने में विफल रही है. पिछले दिनों इंटरपोल ने नीरव मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है और सरकार ने विजय माल्या से बैंकों के कर्ज का कुछ पैसा वसूलने की बात भी कही है. बावजूद इसके बढ़ता NPA और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर रखी है.

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विशेष राज्य का दर्जा

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का देने की मांग पर पूरा बजट सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया लेकिन इस बार बिहार के सांसद भी इस मांग को सदन के भीतर उठा सकते हैं. नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख ने न सिर्फ आंध्र के यह दर्जा देने का समर्थन किया था बल्कि बिहार के लिए भी यही मांग उठाई थी. जेडीयू केंद्र में सरकार का साझीदार है फिर भी वह विशेष राज्य की मांग के लिए लगातार मोदी सरकार पर दबाव बना रहा है. टीडीपी ने तो आंध्र को दर्जा न दिए जाने से नाराज होकर एनडीए का साथ ही छोड़ दिया था.

इन प्रमुख मुद्दों के अलावा कावेरी प्रबंधन बोर्ड, एयर इंडिया का विनिवेश, ट्रेनों की लेट-लतीफी जैसे कई ऐसे अहम मुद्दे हैं जिनको विभिन्न विपक्षी दल सदन में उठा सकते हैं. सरकार के सामने न सिर्फ इन मुद्दों से निपटने की चुनौती है बल्कि उसे कई अहम बिल भी संसद से पारित कराने हैं, जिसके लिए सदन का सुचारू रूप से चलना जरूरी है.

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