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Movie Review: कई सवालों का जवाब है 'अलीगढ़'

मनोज बाजपेयी के उम्दा अभिनय और सच्‍ची घटना पर आधारित फिल्‍म 'अलीगढ़' बेहतरीन फिल्‍म है. इस फिल्‍म को काफी सराहना मिली है.

फिल्‍म 'अलीगढ़' फिल्‍म 'अलीगढ़'
दीपिका शर्मा/आर जे आलोक
  • मुंबई,
  • 24 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

फिल्म का नाम: अलीगढ़

डायरेक्टर: हंसल मेहता

स्टार कास्ट: मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव, आशीष विद्यार्थी

अवधि: 2 घंटा

सर्टिफिकेट: A

रेटिंग: 4 स्टार

हंसल मेहता एक ऐसे निर्माता निर्देशक हैं, जिनका काम पर्दे पर बोलता है और उन्होंने इस बात को अपनी नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म 'शाहिद' के माध्यम से भी साबित कर दिया है. एक बार फिर से हंसल मेहता ने असल जिंदगी से प्रेरित होकर 'अलीगढ़' फिल्म बनाई है जो सत्य घटनाओं पर आधारित है. फिल्म को मुंबई फिल्म फेस्टिवल, बुसान फिल्म फेस्टिवल और लंदन के फिल्म समारोह में भी दिखाया जा चुका है जहां इसकी जमकर सराहना की गई है, अब क्या यह फिल्म भी हंसल की बाकी फिल्मों के जैसे आपको सोचने पर विवश कर पाएगी?

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कहानी
अलीगढ़, प्रोफेसर डॉक्टर एस आर सिरस (मनोज बाजपेयी) की कहानी है जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. 8 फरवरी 2010 को प्रोफेसर सिरस को पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध बनाने के आरोप में यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया जाता है और इस पूरी खबर पर दिल्ली का पत्रकार दीपू सेबेस्टियन (राजकुमार राव) पड़ताल करता है. धीरे-धीरे कहानी आगे बढ़ती है और अंततः इलाहाबाद हाई कोर्ट इस केस में प्रोफेसर सिरस को निर्दोष मानती है और यूनिवर्सिटी में एक बार फिर प्रोफेसर सिरस की बहाली हो जाती है.

स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी अपूर्व असरानी ने लिखी है जिन्होंने 'सत्या' और 'शाहिद' जैसी फिल्में एडिट भी की हैं. कहानी काफी सरल है लेकिन इसका मैसेज बेहद जबरदस्त है, जो फिल्म के साथ-साथ सामने भी आता है. अलीगढ़ के रि‍यल लोकेशंस पर फिल्म को शूट करना और परदे पर उतारा जाना भी काबिल ए तारीफ है. प्रोफेसर का अकेलापन, एक पत्रकार का प्रोफेसर के संग रिश्ता और साथ ही सिलसिलेवार घटनाओं को बड़े सहज तरीके से अपूर्व ने कहानी में तब्दील किया है.

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अभिनय
फिल्म में मनोज बाजपेयी ने बहुत उम्दा अभिनय किया है और किरदार की बारीकी को हरेक फ्रेम में आसानी से देखा जा सकता है. प्रोफेसर जिसे संगीत पसंद है, साथ ही अपने अकेलेपन में वो कैसे गुजर बसर कर रहा है, इन सभी बातों को मनोज ने अभिनय के माध्यम से पूरा किया है. वहीं राजकुमार राव ने एक साउथ इंडियन पत्रकार के रोल में लाजवाब काम किया है. आशीष विद्यार्थी ने भी अपने छोटे लेकिन अहम रोल को बखूबी निभाया है.

संगीत
फिल्म में लता मंगेशकर के दो गीतों को प्रयोग में लाया गया है जो कहानी के साथ जाते हैं और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है.

क्यों देखें
असल जिंदगी से जुड़ी कहानियों और उम्‍दा अभि‍नय को पर्दे पर देखना पसंद करते हैं, तो यह फिल्‍म आपके लिए ही है.


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