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Movie Review: 'लव और लेंथ' ने बिगाड़ी 'एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी' की फॉर्म

भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'एमएस धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी' आज रिलीज हो गई है. जानें कैसी है फिल्म.

नई दिल्ली नई दिल्ली
नरेंद्र सैनी/पूजा बजाज
  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 3:48 PM IST

रेटिंगः 3
डायरेक्टरः
नीरज पांडेय
कलाकारः
सुशांत सिंह राजपूत, कियारा आडवाणी, दिशा पाटनी, अनुपम खेर, भूमिका चावला 

खिलाड़ी को किस तरह बॉलीवुड स्टार बनाया जाता है, यह हिंदी सिनेमा जगत ही जानता है. एक खिलाड़ी का जीवन किसी तपस्या से कम नहीं होता. लेकिन बॉलीवुड डायरेक्टर इस सच्चाई से कोसों दूर है और बॉक्स ऑफिस पर जनता की भीड़ खींचने के लिए वह ऐसे हथकंडे अपनाते हैं जो एक गंभीर प्रयास को हल्का बना देता है. ऐसा ही कुछ 'एम.एस. धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी' के साथ भी है. वह फिल्म में धोनी से गाना गवा रहे हैं, नाच करवा रहे हैं और उनके शौक का इस्तेमाल अपने लिए कर रहे हैं. 'अ वेडनस्डे' और 'स्पेशल 26' जैसी सधी हुई फिल्में बनाने वाले नीरज यहां चूकते नजर आते हैं और उनका फोकस धोनी के करियर में झांकने के बजाए उनके निजी जीवन में झांकने पर ज्यादा नजर आता है. फिल्म में धोनी के संघर्ष वाला हिस्सा बहुत ही रोचक है. फिल्म को एक अच्छी कोशिश कहा जा सकता है जिसे सुशांत सिंह ने अपनी एक्टिंग से निखारा है और धोनी की प्रेरित करने वाली घटनाओं ने फिल्म को मजबूती देने की कोशिश की है.

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कहानी में कितना दम
फिल्म की शुरुआत झारखंड के रांची से होती है. जहां एक परिवार है, जिसका मुखिया अनुपम खेर है. उनका एक बेटा सुशांत सिंह राजपूत यानी माही भी है जो खेल में दिलचस्पी रखता है. लेकिन पिता चाहता है कि वह सरकारी नौकरी लेकर सैटल हो जाए. छोटे शहर के इस लड़के के बड़े सपने हैं. इस तरह बाप-बेटे में मध्यवर्गीय परिवारों के बीच होने वाली सभी बातें नजर आती हैं. फिल्म का यही पार्ट बहुत अच्छा भी है. इसके बाद, धोनी के क्रिकेट के सफर को दिखाया गया है. कैसे एक सितारे का उदय होता है. लेकिन यहीं आकर फिल्म में उनकी पर्सनल लाइफ हावी हो जाती है. डायरेक्टर इतने लंबे समय का इस्तेमाल उस तरह से नहीं कर सके, जिससे यह फिल्म यादगार बन पाती. वैसे भी धोनी की खासियत टीम गेम की रही है और यह बात कहीं-कहीं मिसिंग नजर आती है. उम्मीद थी कि नीरज ड्रेसिंग रूम के रोचकर किस्सों को लेकर आएंगे लेकिन उन्होंने इसको ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. फिल्म में क्रिकेटिंग सीन अच्छे ढंग से फिल्माए गए हैं. लेकिन सेकंड हाफ थकाता है. 

स्टार अपील

सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी के किरदार के लिए काफी मेहनत की है और उन्होंने क्रिकेट में अच्छे-खासे हाथ भी आजमाए हैं. उन्होंने धोनी के कैरेक्टर और उसकी बारीकियों को अच्छे से समझा है. उनके बोलने का अंदाज बहुत ही कमाल का है. यह उनका अब तक का बेहतरीन रोल कहा जा सकता है. अनुपम खेर ने धोनी के पिता के रोल में ठीक-ठाक काम किया है. भूमिका चावला ने अपने रोल को अच्छे से निभाया है. कियारा और दिशा को जितना उन्हें मिला उन्हें ठीक ही किया है. युवराज के रोल में हैरी टंगड़ी अच्छे लगे हैं.

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कमाई की बात
महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान हैं और उनकी फैन फॉलोइंग जबरदस्त है. उनकी कहानी हर उभरते खिलाड़ी और युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है. इस तरह फिल्म में धोनी फैन्स के समेत बाकी दर्शकों को एक बार सिनेमाघर तक लाने की कूव्वत तो है ही. फिल्म की लागत लगभग 110 करोड़ रु. बताई जाती है. ऐसे में फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर दौड़ लगानी पड़ेगी और फिल्म पूरी तरह से धोनी के नाम पर ही टिकी है क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत इतनी बड़े रेस के खिलाड़ी नहीं हैं. फिल्म का म्यूजिक अच्छा है, धोनी का जीवन शानदार है, लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ पर फोकस और फिल्म की लंबाई जरूर दर्शकों को तंग कर सकती है. कुल मिलाकर नीरज पांडेय का यह 'हेलीकॉप्टर शॉर्ट' छक्का लगाने वाला तो नजर नहीं आता है.

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