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मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट का विस्तार किया है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी दी गई है. सीएम शिवराज ने नई कैबिनेट के जरिए ग्वालियर-चंबल इलाके का समीकरण ही नहीं साधा बल्कि 24 उपचुनाव वाली सीटों के 14 बीजेपी संभावित प्रत्याशी को मंत्री बनाकर बड़ा दांव भी चला है. हालांकि, इसका चुनाव में बीजेपी को कितना सियासी फायदा मिलता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा?
बता दें कि मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर साल के आखिर तक उपचुनाव होने की संभावना हैं. इनमें कांग्रेस के 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पार्टी से इस्तीफे देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था बाकी दो विधायकों के निधन के चलते सीटें रिक्त हुई हैं. इन 24 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग इलाके की हैं, जहां पर उपचुनाव होने हैं.
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ग्वालियर-चंबल पर फोकस
सिंधिया के बीजेपी खेमे में आने के बाद मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल इलाके का समीकरण बदल गया है. बीजेपी का अब यह नया गढ़ बन गया है. शिवराज कैबिनेट में ग्वालियर-चंबल इलाके से 12 मंत्रियों को शामिल किया गया है. इनमें बीजेपी खेमे से नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया, भरत सिंह कुशवाहा और अरविंद भदौरिया को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. वहीं, सिंधिया गुट से प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़, ऐंदल सिंह कंसाना, ब्रजेन्द्र सिंह यादव और महेंद्र सिंह सिसोदिया को मंत्री बनाया गया है.
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बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल की कुल 34 सीटों में से बीजेपी को 7 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस 26 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. हालांकि, सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले 22 विधायकों में से 16 विधायक इसी इलाके से हैं, जहां उपचुनाव होने हैं. इन 16 विधायकों में से 8 को शिवराज कैबिनेट में जगह मिली है. मध्य प्रदेश के सियासत में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही जिले सागर से तीन कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.
कैबिनेट विस्तार में सिंधिया की चली
मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल की सबसे ज्यादा सीटों पर उपचुनाव होना है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया की पूरी तरह से चली है. उन्होंने जिसे कहा, शिवराज मंत्रिमंडल में उसको शामिल कर लिया गया, ताकि उपचुनाव में किसी तरह की कोई हिचकिचाहट न रह जाए. सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया, ऐंदल सिंह कंसाना, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह मंत्री बनाए गए हैं.
जातीय समीकरण को ऐसे साधा
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से गिरिराज दंडोतिया (ब्राह्मण), ऐंदल सिंह कंसाना (गुर्जर), सुरेश धाकड़ (किरार समाज), ओपीएस भदौरिया (ठाकुर), महेंद्र सिंह सिसोदिया (ठाकुर), इमरती देवी (अनुसूचित जाति), प्रद्युम्न सिंह तोमर (ठाकुर), भारत सिंह कुशवाह (कुशवाह समाज), ब्रजेन्द्र यादव (यादव) को साधने की कोशिश की गई है. वहीं, ग्वालियर इलाके के नरोत्तम मिश्रा (ब्राह्मण) पहले ही कैबिनेट में शामिल हैं.
जाटव समुदाय को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह
सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले अनुसूचित जाति के कई विधायक शामिल थे. इनमें कमलेश जाटव, जसवंत जाटव और रणवीर जाटव के नाम प्रमुख हैं. ग्वालियर-चंबल संभाग में जाटव समाज का राजनीतिक वर्चस्व भी है. उपचुनाव को देखते हुए माना जा रहा था कि जाटव समुदाय से किसी एक नेता को शिवराज कैबिनेट में जगह मिल सकती है, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली है. दलित समुदाय से से इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी को मंत्री बनाया गया है, लेकिन ये दोनों अहिरवार उपजाति से आते हैं. ऐसे में जाटव समुदाय की नाराजगी बीजेपी के लिए नई परेशाना खड़ी कर सकती है.