
सुप्रीम कोर्ट की ओर से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगला खाली करने के आदेश के बाद नेतागण अब इसे खाली करने के बजाए इससे बचने का बहाना तलाशकर देश की शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने लगे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं और उन्होंने बढ़ती उम्र और गिरती सेहत का हवाला देते हुए कोर्ट से बंगला खाली करने को लेकर रियायत देने की मांग की है. मुलायम ने इसके लिए 2 साल का वक्त मांगा है और इस दौरान अपने लिए समुचित घरों का इंतजाम करने की बात भी कही है.
अखिलेश भी गए कोर्ट
मुलायम से पहले उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस संबंध में कोर्ट का रुख कर चुके हैं. उन्होंने बंगला नहीं खाली करने के लिए अपनी सुरक्षा और बच्चों की पढ़ाई का सहारा लिया.अखिलेश यादव के निजी सचिव गजेंद्र सिंह ने भी पिछले हफ्ते राज्य संपत्ति अधिकारी को इस संबंध में पत्र लिखा था जिसमें समय की कमी और अभी तक कोई उचित जगह नहीं मिल पाने का तर्क देकर वक्त मांगा गया था.
मायावती भी नहीं चाहती बंगला खाली करना
वहीं, एक और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बताया कि वह जिस 13 माल रोड स्थित बंगले में रहती हैं उसे खाली नहीं कर सकतीं क्योंकि यह बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और उनके राजनीतिक मेंटर कांशीराम का स्मारक है.
मायावती 13 मॉल एवेन्यू नाम के जिस सरकारी बंगले में ही रहती हैं उसे दो सरकारी बंगलों को जोड़कर बनाया गया है. 2011 में इसे कांशीराम संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया और इसके कुछ कमरों में ही वह रहती हैं.
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को भेजे पत्र में मायावती ने यह जानकारी दी कि 13 जनवरी, 2011 को 13 मॉल एवेन्यू को कांशीराम के नाम से स्मारक बना दिया गया, जिसके 2 कमरों में वह रहती हैं.
राजनाथ खाली कर रहे बंगला
हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने ऐलान कर रखा है कि वह लखनऊ में अपना सरकारी आवास 4 कालिदास मार्ग खाली कर देंगे. उन्होंने वहां से अपना सामान भी हटाना शुरू कर दिया है. एक और पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह भी अपना बंगला खाली कर रहे हैं.
इससे पहले राज्य सरकार ने अखिलेश यादव समेत 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती और एनडी तिवारी को सरकारी बंगला दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को एनजीओ लोकप्रहरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इसे गैरकानूनी करार दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कार्यकाल के बाद जनता के सरकारी धन से ये सुविधाएं उचित नहीं हैं.