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मुल्क का हाल: आतंकवाद-बीफ-पाकिस्तान, मुस्लिमों को लेकर क्या सोचते हैं बहुसंख्यक?

जब गैर मुस्ल‍िमों से पूछा गया कि जब वे किसी मुस्ल‍िम को रोड पर दाढ़ी और टोपी पहने देखते हैं, तो पहला विचार उनके दिमाग में क्या आता है? 58 फीसदी ने नकारात्मक और भेदभावपूर्ण जवाब दिया. इनमें 14 फीसदी लोग उन्हें आतंकी, 10 फीसदी कट्टर, 9 फीसदी खुद को डरा हुआ, 5 फीसदी असहज, 3 फीसदी पाकिस्तानी, 3 फीसदी भारत विरोधी व अन्य तरह के विचार लाते हैं.

मूल्क का दृश्य मूल्क का दृश्य
महेन्द्र गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

फिल्मकार अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी ऋषि कपूर और तापसी पन्नू स्टारर फिल्म 'मुल्क' अगले महीने 3 अगस्त को रिलीज हो रही है. ये फिल्म कोर्ट रूम ड्रामा है जो मोटे तौर पर भारत में मुस्ल‍िमों से मजहब के आधार पर होने वाले भेदभाव की कहानी पर आधारित है. इस वक्त देश में धार्मिक पहचान के आधार पर हो रही भेदभाव की घटनाएं बहस के केंद्र में हैं. ऐसे में फिल्म की कहानी चर्चाओं में आ गई है.  

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फिल्म प्रमोशन के दौरान एक रिसर्च आंकड़ा भी शेयर किया जा रहा है. रिसर्च देश के मौजूदा हालात में मुसलमानों की स्थिति, उन्हें लेकर तमाम मुद्दों पर गैर मुस्लिमों की राय पर आधारित है. दावा है कि रिसर्च के आंकड़े 20 राज्यों के 70 शहरों में हुए सैम्पल पर आधारित हैं. हालांकि, ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि 70 शहरों में कितने लोगों के बीच सर्वे किया गया और ये किस तरह की धार्मिक बहुलता वाले इलाकों में हुआ? मॉब लिंचिंग की डिबेट के बीच इस सर्वे के आंकड़े हैरान करने वाले हैं.   

बहरहाल, सर्वे में जो तथ्य सामने आए हैं वो काफी संवेदनशील हैं. सर्वे के अनुसार, आधे से ज्यादा भारतीय मुस्ल‍िम (54 फीसदी) मानते हैं कि यदि उन्हें किसी पुलिस केस में पकड़ा जाता है तो उनके धर्म के कारण पुलिस निष्पक्ष व्यवहार नहीं करती है. साथ ही 14 फीसदी गैर मुस्ल‍िमों का मानना है कि यदि वे सड़क पर किसी दाढ़ी वाले या टोपी लगाए मुस्ल‍िम को देखते हैं तो वे उसे आतंकी समझते हैं. आइए जानते हैं सर्वे से जुड़े ऐसी ही कुछ तथ्य...

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#1. आतंकवाद

- हर 2 में से एक (52 फीसदी) गैरमुस्ल‍िम यह मानता है कि दुनिया में आतंकवाद का कारण इस्लाम है.

- 44 फीसदी मुस्लिमों का मानना है ज्यादातर गैर मुस्लिम उन्हें आतंकवादी समझते हैं.

#2. पहनावा

- 45 फीसदी गैर मुस्ल‍िमों ने कहा - यदि बस में उनके पास कोई दाढ़ी या टोपी वाला पुरुष बैठा हो तो वे असहज हो जाते हैं.

- 35 फीसदी गैर मुस्ल‍िमों ने कहा-  यदि बुर्का में कोई महिला उनके पास बैठी हो तो वे असहज महसूस करते हैं.

- 24 फीसदी मुस्ल‍िमों ने कहा - उन्हें सलाह दी जाती है कि वे सफर के दौरान दाढ़ी न रखें, टोपी न पहनें और महिलाएं बुर्का न पहनें.

#3. पाकिस्तानी

- 3 में से एक (37 फीसदी) गैर मुस्ल‍िम स्वीकार करते हैं कि कम से कम एक बार ऐसा उनके साथ हुआ, जब किसी मुस्ल‍िम को देखकर उनके मन में पाकिस्तानी शब्द का ख्याल में आया.

- 12 फीसदी गैर मुस्ल‍िम मानते हैं कि कम से कम एक बार उन्होंने अपने मुस्ल‍िम दोस्त को मजाक में पाकिस्तानी कहा है.

- 27 फीसदी मुस्ल‍िमों ने कहा - कम से कम एक बार उनके मुंह पर उन्हें पाकिस्तानी कहा गया है.

- 34 फीसदी मुस्ल‍िम पुरुष और 19 फीसदी मुस्ल‍िम महिलाएं इसका सामना कर चुकी हैं.

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- 29 फीसदी मुस्ल‍िमों से कम से कम एक बार कहा गया कि उन्हें भारत में रहने की बजाय पाकिस्तान चले जाना चाहिए.

#3. क्रिकेट

- 44 फीसदी गैर मुस्ल‍िमों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के साथ मैच खेलता है तो भारतीय मुस्लिम भारत की बजाय पाकिस्तान का सपोर्ट करते हैं.

- 42 फीसदी मुस्ल‍िमों से भारत-पाकिस्तान मैच के समय पूछा जाता है कि क्या वे भारत की बजाय पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहे हैं.

#4. बीफ

- 36 फीसदी गैर मुस्ल‍िमों का मानना है कि जो मुस्ल‍िम बीफ खाए, उसे जेल होना चाहिए.

- ये धारणा मूल रूप से उत्तर भारत में ज्यादा है. करीब 43 फीसदी.

- 9 फीसदी गैर मुस्ल‍िम मानते हैं कि बीफ खाने वाले मुस्ल‍िमों को बिना मुकदमे के जान से मार देना चाहिए.

 - 45 फीसदी मुस्ल‍िम मानते हैं कि उनके साथी मुस्ल‍िमों को बीफ नहीं खाना चाहिए, क्योंकि भारत में इससे हिंदुओं की भावनाएं आहत होती हैं.

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#5. भेदभाव  

- 45 फीसदी मुस्ल‍िमों से कम से कम एक बार उनके मुस्ल‍िम होने के कारण जॉब देने से इंकार किया गया है.

- 38 फीसदी मुस्ल‍िमों से कम से कम एक बार उनके धर्म के कारण प्रॉपर्टी किराए पर देने या बेचने से इंकार किया गया.

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- 43 फीसदी गैर मुस्ल‍िम मानते हैं कि यदि कोई मुस्ल‍िम उनका पड़ोसी बने तो वे असहज महसूस करेंगे.

- आधे से ज्यादा भारतीय मुस्ल‍िम (54) मानते हैं कि यदि उन्हें किसी पुलिस केस में पकड़ा जाता है कि उनके धर्म के कारण पुलिस उनके साथ निष्पक्ष रूप से पेश नहीं आती.

- 61 फीसदी गैर मुस्ल‍िम मानते हैं कि मुस्ल‍िम देश के बाकी धर्मों की तुलना में पुराने फैशन के और पिछड़े हैं.

- ये धारण भारत के पूर्व (76) और उत्तर (68) में ज्यादा है.

#6. मुस्ल‍िमों के प्रति धारणा

- 61 फीसदी गैर मुस्ल‍िम मानते हैं कि भारत का कल्चर मुस्ल‍िमों के कल्चर से मैच नहीं करता है.

- 47 फीसदी गैर मुस्ल‍िम भारतीय मानते हैं कि भारत बेहतर देश होता यदि इसमें मुस्ल‍िम न होते.

- ये धारणा मेट्रो शहर(54 फीसदी), उत्तर भारत (58 फीसदी) और दक्ष‍िण भारत (61 फीसदी) में मजबूत है.  

- भारत में 3 में से 2 गैर मुस्ल‍िम मानते हैं कि देश में आबादी बढ़ने का प्राथमिक कारण मुस्ल‍िम हैं.

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- जब गैर मुस्ल‍िमों से पूछा गया कि जब वे किसी मुस्ल‍िम को रोड पर दाढ़ी और टोपी पहने देखते हैं, तो पहला विचार उनके दिमाग में क्या आता है? 58 फीसदी ने नकारात्मक और भेदभावपूर्ण जवाब दिया. इनमें 14 फीसदी लोग उन्हें आतंकी, 10 फीसदी कट्टर, 9 फीसदी खुद को डरा हुआ, 5 फीसदी असहज, 3 फीसदी पाकिस्तानी, 3 फीसदी भारत विरोधी व अन्य तरह के विचार लाते हैं.

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