
मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर ने पिछले दिनों अफगानिस्तान में तालिबान की कमान संभाली है. इस नए मुखिया की ताजपोशी मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत के बाद हुई है, वहीं पूर्व रॉ अफसर आनंद अर्णी ने दावा किया है कि मंसूर ही वह शख्स है, जो 1991 में कंधार हाईजैक में रिहा किए आतंकी मौलाना मसूद अजहर को एयरपोर्ट से अपनी कार में बिठकार ले गया था.
करीब 16 साल पुरानी इस टीस को फिर से जगाने वाले मंसूर के गुनाहों की फेहरिस्त जितनी लंबी है, उतनी ही खूंखार भी. सैंकड़ों बच्चों की हत्या से लेकर मलाला युसुफजई पर हमला करने, फौजियों के सिर काटने से लेकर जिंदा गाड़ने तक ऐसी कोई दरिंदगी नहीं है, जो मंसूर के खाते में नहीं है. गुनाहों की ऐसी दास्तान जो जानवरों के शरीर में भी सिहरदन पैदा कर दे.
कौन है मंसूर, कैसे बना आतंक का सरगना
साल 2010 में मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर का नाम तब चर्चा में आया जब उसे मुल्ला उमर का सहायक घोषित किया गया. मुल्ला उमर के बाद तालिबान प्रमुख बनने वाला वह दूसरा शख्स है. बेहतरीन लीडरशिप, तेज दिमाग और दिमाग में भरी दरिंगदगी के कारण ही उसे उमर का उत्तराधिकारी बनाया गया. उसकी उम्र करीब 40 वर्ष के आसपास बताई जाती है.
मंसूर इससे पहले तालिबान शासन वाली सरकार में उड्डयन मंत्री भी रह चुका है. सत्ता के दिनों का ये वही दौर है जब भारतीय विमान को हाईजैक कर आतंकी कंधार ले गए थे. तब रिहा हुए आतंकियों को लेने मंसूर ही कंधार एयरपोर्ट आया था और मसूद अजहर के रिहा होने पर उसने आगे बढ़कर अजहर को गले लगाया. ऐसे जैसे उनकी गहरी पुरानी दोस्ती हो.
आसोमा से थी अच्छी जान-पहचान
मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर अफगानिस्तान सरकार के साथ बातचीत का पक्षधर है. वह कंधार का राज्यपाल भी रह चुका है. मंसूर, मुल्ला उमर का सहायक रह चुका है और तालिबान शूरा (शीर्ष निर्णय निकाय) नाम के 20 सदस्यीय संगठन का काम देख रहा था. मंसूर के तालिबान प्रमुख बनाए जाने से पहले शांति बहाली के लिए अफगान सरकार से तालिबान की बातचीत फिलहाल टल गई थी, जिसके दोबारा शुरू होने की उम्मीद है. मंसूर ओसामा बिन लादेन से उसकी अच्छी जान पहचान रखता था.
बताया जाता है कि तालिबान ने बीते पांच से छह वर्षों में जिन आतंकी कारनामों को अंजाम दिया है, उन सब के पीछे मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर ही है. योजना बनाने से लेकर आतंक फैलाने के लिए हर नए तरीके का ईजाद मंसूर खुद करता है.
आगे पढ़ें, मंसूर के काले कारनामों की दास्तान...{mospagebreak}दरिंदगी की दास्तान, आतंक का काला सच
पाकिस्तान में पेशावर के एक आर्मी स्कूल में तालिबान आतंकियों का हमला हर किसी के जेहन में ताजा है. इस हमले में 128 स्कूली बच्चों समेत 132 लोगों की हत्या कर दी गई थी. बीते साल दिसंबर में हुए इस हमले में 245 लोग घायल हुए. आतंकियों ने सुरक्षाबलों से बदला लेने के लिए उनके बच्चों को निशाना बनाया था. पाकिस्तान सरकार ने इस घटना को राष्ट्रीय त्रासदी करार दिया था. बताया जाता है इस हमले के पीछे मंसूर का ही खौफनाक चेहरा था.
मलाला पर जानलेवा हमला
साल 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाली मलाला युसुफजई भी तालिबान आतंकियों का निशाना बनीं. साल 2012 में स्वात घाटी में मलाला पर आतंकियों ने जानलेवा हमला किया था. इसमें वह बाल-बाल बची थी. मलाला ने तालिबान के उन फैसलों का विरोध किया था जिसमें लड़कियों की पढ़ाई रोकने की बात कही गई थी.
जिद की तो काट दिए नाक-कान
अफगानिस्तान में अगस्त 2009 में चुनाव के दौरान तालिबान की दरिंदगी सामने आई. 20 अगस्त को हुए चुनावों में वोट डालने जा रहे एक शख्स पर आतंकियों ने हमला किया और उसके नाक-कान काट डाले. आतंकियों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर रखा था.
फौजियों के सिर काटे, बेरहमी से की हत्या
पाकिस्तान में तालिबान ने 12 पाक फौजियों का सिर काट कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी. तालिबान ने अपनी इस हैवानियत भरी हरकत का वीडियो भी जारी किया था. आतंकियों ने बाजौर इलाके की चौकी पर हमला कर पहले 12 पाक फौजियों को अगवा किया और फिर उनके सिर काट कर हत्या कर दी.
चेक प्वाइंट पर हमला कर 29 को मौत के घाट उतारा
अफगानिस्तान के हेल्मंड प्रांत के मूसा काला जिले में जून 2015 में तालिबान आंतकियों ने घात लगाकर पुलिस टीम पर हमला किया. हमले में 29 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई जबकि 16 पुलिसकर्मी घायल हो गए. आतंकियों ने एक चेक प्वाइंट पर घात लगाकर हमला किया.
प्यार करने की सजा, जिंदा दफन किया
अफगानिस्तान के कुंडूज इलाके में तालिबान आतंकियों ने एक युवती को प्यार करने की सजा देते हुए जमीन में जिंदा दफन करने की कोशिश की. 19 वर्षीय युवती को शादी के नाम पर बेच दिया गया था, लेकिन वो अपने प्रेमी के साथ पाकिस्तान भाग गई थी. युवती को पकड़कर आतंकियों ने कमर तक खोदे गए गड्ढे में दबा दिया.
अफगानिस्तान की संसद पर हमला
इसी साल जून महीने में तालिबान ने अफगानिस्तान की संसद पर हमला किया. हालांकि इस हमले में आतंकी संसद के अंदर घुसने में कामयाब नहीं हो सके. पुलिस ने वक्त रहते मोर्चा संभाला और सभी छह आतंकियों को मार गिराया.
काबुल एयरपोर्ट पर हमला
तालिबानी आतंकियों ने जून 2013 में काबुल एयरपोर्ट को निशाना बनाया. उन्होंने पूरी प्लानिंग के साथ हमला किया. हालांकि सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के चलते उनके मंसूबों पर पानी फिर गया. आतंकवादियों ने एयरपोर्ट पर ग्रेनेड और बंदूकों से हमला किया था.
कराची एयरपोर्ट पर हमला
कराची अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर जून 2014 में तालिबान आतंकियों ने भीषण वारदात को अंजाम दिया. 13 घंटे की तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाकर्मियों ने 10 आतंकियों को मार गिराया था. इस दौरान 19 नागरिकों की भी मौत हुई. तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी.
कोर्ट में किया हमला, 53 की मौत
अफगानिस्तान के फराह शहर में अप्रैल 2013 में आतंकियों ने एक कोर्ट को निशाना बनाया. इस हमले में करीब 53 लोगों की जान गई थी जबकि 90 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. यह हमला कोर्ट में सुनवाई के लिए लाए गए आतंकियों को छुड़ाने के लिए किया गया था.