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मुन्ना बजरंगी: 250 रुपये के तमंचे से 250 करोड़ के साम्राज्य तक

कम ही लोग जानते होंगे कि कई राज्यों की पुलिस की नाम में दम कर रखने वाला और लोगों में दहशत फैलाने वाला मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में 250 रुपये का तमंचा लेकर घुसा था.

munna bajrangi murder: इस तरह अपराध की दुनिया में आया मुन्ना बजरंगी munna bajrangi murder: इस तरह अपराध की दुनिया में आया मुन्ना बजरंगी
आशुतोष कुमार मौर्य/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST

उत्तर प्रदेश में कभी आतंक का पर्याय बन चुके मुन्ना बजरंगी की सोमवार की सुबह बागपत जेल में ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी गई. जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी को 8 से 10 गोली मारने का मकसद साफ था, न सिर्फ मुन्ना को हर हाल में मारना बल्कि दहशत भी कायम करना. हो भी क्यों न, आखिर मुन्ना खुद कभी दहशत का दूसरा नाम रह चुका था.

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लेकिन 2005 में गाजीपुर के विधायक कृष्णानंद राय पर ताबड़तोड़ 400 गोलियां बरसाने वाला मुन्ना बजरंगी एक ऐसा नाम था, जो कभी उत्तर प्रदेश और बिहार में बाहुबलियों की ताकत बनकर उभरा था. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद फरार हुए मुन्ना को लगातार 2 साल की मेहनत के बाद 2009 में मुंबई से गिरफ्तार किया जा सका.

लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि कई राज्यों की पुलिस की नाम में दम कर रखने वाला और लोगों में दहशत फैलाने वाला मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में 250 रुपये का तमंचा लेकर घुसा था.

14 की उम्र में खरीदी 250 रुपये की पिस्टल

मुन्ना बजरंगी ने 14 साल की उम्र में 250 रूपये की पिस्टल खरीद कर पहली हत्या की थी और इस तरह जुर्म की दुनिया में हुई थी उसकी एंट्री. 1965 में किसान परिवार में जन्मे प्रेम प्रकाश को किसानी में मन नहीं लगा तो वह कालीन का काम सिखने लगा. 14 साल की उम्र में घरवालों ने उसकी शादी कर दी. शादी के 4-5 दिन बाद ही पैसे को लेकर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी के चाचा का गांव के ही एक शख्स भुल्लन सिंह से विवाद हो गया.

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भुल्लन ने बजरंगी के चाचा को गालियां दीं जो बजरंगी को चुभ गईं. बस उसने 250 रूपये में पिस्टल खरीदी और सीधा पहुंच गया भुल्लने के यहां. मुन्ना बजरंगी ने उस 250 रुपये की पिस्टल से भुल्लन पर फायर कर दिया. भुल्लन मारा गया और मुन्ना बजरंगी का जरायम की दुनिया में दाखिला हो गया.

जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद प्रेम प्रकाश ने खुद अपना नाम रख लिया मुन्ना बजरंगी. बस यहां से मुन्ना बजरंगी ने ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देना शुरू किया और ऐसा कोहराम मचाया कि लोग इसके नाम से दहशत खाने लगे.

मुख्तार अंसारी के गैंग का खास शूटर था मुन्ना

मुन्ना बजरंगी वैसे तो 14 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था लेकिन जुर्म की दुनिया में असल एंट्री माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के साथ जूड़ने के बाद शुरू हुई. बजरंगी से मुख्तार की पहचान उसके दोस्त अनील सिंह और कलाम, जिसकी बिवी राबिया विधायक रह चुकी थी, इन दोनों ने करवाई थी.

मुख्तार के कहने पर बजरंगी ने कई हत्याएं कीं. एक बार बजरंगी को गोली लगी, उस वक्त मुख्तार ने ही उसकी जान बचाई. फिर तो दोनों का साथ और मजबूत हो गया. मुख्तार के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने पहली बार सियासी मर्डर किया कैलाश दुबे का, जो ब्लाक प्रमुख और बीजेपी का नेता था.

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इसी दौरान डॉन से मुख्तार सफेदपोश बन गया और सियासत में उसकी एंट्री विधायक के तौर पर हो गई. फिर तो मुन्ना बजरंगी को सियासी संरक्षण भी मिलने लगा.

प्रेम, शादी और एनकाउंटर

1998 में मुन्ना बजरंगी की अपने दोस्तों के घर सीमा सिंह से मुलाकात हुई, जो बाद में प्यार में तब्दील हो गया. दोनों ने हरिद्वार में पुलिस की नजर बचाकर शादी कर ली. लेकिन उसी साल यूपी एसटीएफ ने मुन्ना बजरंगी को घेर लिया. मुन्ना बजरंगी को पुलिस की कई गोलियां लगीं. यूपी पुलिस ने तो दावा कर दिया कि मुन्ना बजरंगी मारा गया.

पुलिस जब अस्पताल लेकर गई तो बजरंगी ने आंखें खोल दीं और इस तरह उसकी जान बची, एनकाउंटर के कुछ दिन बाद उसकी बेटी हुई. बजरंगी साल 2002 तक तिहाड़ जेल में रहा फिर जेल से छूटने के बाद मुख्तार की मदद से मुंबई में अपना ठिकाना बना लिया.

BJP विधायक की हत्या

मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची. और उसी के चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई थी. इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे. पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी. इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी. हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा. इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था.

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मुन्ना के सिर पर था लाखों का इनाम

भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी. इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया. उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है. वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा. पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था.

मुंबई में ली थी पनाह

यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी. उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था. दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था. इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया. उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा. इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा. उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे. वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था.

राजनीति में भी आजमाई किस्मत

एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की. मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था. जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे. यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे. बीजेपी से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा. वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया. कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे. मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे. मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था.

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ऐसे गिरफ्तार हुआ था मुन्ना

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था. उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं. लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था. माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था. इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी. मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था.

बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है. इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया. तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा है. इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं. मुन्ना बजरंगी का दावा है कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं.

250 की पिस्टल से 250 करोड़ का साम्राज्य

250 की पिस्तौल से हत्या कर जुर्म की दुनिया में कदम बनाने वाले मुन्ना बजरंगी ने 250 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया था. AK-47 जैसे हथियार रखने के शौकीन मुन्ना बजरंगी की मौत से उसके कई सौ करोड़ों की संपत्ति भी डूब जाएगी. दरअसल अपराध से बजरंगी ने खूब कमाई की लेकिन पैसा नेताओं पुलिस अफसरों के जरिए ही इन्वेस्ट किया. मुन्ना बजरंगी न सिर्फ मुख्तार के साथ मिलकर पीडब्ल्यूडी, सड़क और रेलवे के ठेके का कांट्रैक्ट लेता था, बल्कि अकेले भी इस धंधे में पैर जमा चुका था. यूपी मुंबई झारखंड में उसकी कई प्रापर्टी हैं... लेकिन गुमनामी में...

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