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जहां दुनिया में कई लोग सदियों तक याद रखे जाते हैं वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनका ज्रिक्र जमाने के साथ खत्म हो जाता है. आज हम आपको उस महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आज की पीढ़ी शायद ही नहीं जानती होगी. देश की पहली महिला विधायक के नाम से प्रसिद्ध डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जन्म साल 1886 में 30 जुलाई को हुआ. महिलाओं के अधिकारों के लिए ताउम्र संघर्ष करने वाली पहली ऐसी महिला थीं जिन्होंने लड़कों के स्कूल में दाखिला लिया था.. आइए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ बातें..
जानें कौन थी मुथुलक्ष्मी
1. मुथुलक्ष्मी का जन्म तमिलनाडु में हुआ था.
2. पढ़ने- लिखने की शौकीन मुथुलक्ष्मी को बचपन में पढ़ने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
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3. उनके पिता एस नारायण स्वामी चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे.
3. वह एक बहुत ही होनहार छात्रा थीं. 10वीं कक्षा में पास होने के बाद उन्होंने पुदुक्कोट्टई के महाराजा कॉलेज में दाखिले के लिए फॉर्म भरा. उस समय महिलओं पर इतना ध्यान न देने के कारण कॉलेज ने उनके फॉर्म को ख़ारिज कर दिया गया था.
4. वहां से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई, जिनके नाम भारतीय इतिहास में दर्ज हैं.
5. इसके बाद वह मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाली पहली महिला बनीं. इसके साथ-साथ वह मद्रास के सरकारी मातृत्व और नेत्र अस्पताल की पहली महिला हाउस सर्जन भी बनीं.
6. मुथुलक्ष्मी को इंग्लैंड जाकर आगे पढ़ने का मौका भी मिला लेकिन उन्होंने इसे छोड़कर वुमेन इंडियन एसोसिएशन के लिए काम करना ज्यादा जरूरी समझा.
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7. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1918 में, उन्होंने Women's Indian Association की स्थापना में मदद की थी. उन्हें मद्रास विधान सभा के उप-राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. जिसके बाद वह भारत की पहली महिला विधायक बनीं.
8. अपने पद पर काम करते हुए उन्होंने लड़कियों की कम आयु में शादी रोकने के लिए नियम बनाएं और अनैतिक तस्करी नियंत्रण अधिनियम को पास करने के लिए परिषद से आग्रह किया.
9. 1954 में उन्होंने अद्यार कैंसर इंस्टिट्यूट 'Adyar Cancer Institute' की नींव रखी जो आज सालाना करीब 80 हजार कैंसर मरीजों का इलाज करता है.
10.1956 में, मुथुलक्ष्मी को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
महिला अधिकार कार्यकर्ता और फ्रीडम फाइटर बनीं मुथुलक्ष्मी रेड्डी
जब वह अपनी मेडिकल ट्रेंनिग कर रही थी इस दौरान उन्हें नेता और फ्रीडम फाइटर सरोजिनी नायडू से मिलने का मौका मिला. फिर क्या था उन्होंने ठान लिया कि वह देश की महिलाओं के अधिकारों और देश की आजादी के लिए लड़ेंगी.
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जब बनीं पहली विधायक
मुथुलक्ष्मी को साल 1927 में मद्रास लेजिस्लेटिव काउंसिल से देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव भी हासिल हुआ. साथ ही वहां कि डिप्टी प्रेसिडेंट चुनी गईं. उन्हें समाज और औरतों के लिए किए गए अपने काम के लिए काउंसलिंग में जगह दी गई थी. साल 1956 में उन्हें समाज के लिए किए गए अपने कार्यों के लिए पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया.
ये कहना गलत नहीं होगा कि वह एक कमाल की महिला थी. जहां आज भी महिलाओं को पढ़ने के लिए रोका जाता है वह पहली ऐसी महिला बनीं जिन्होंने लड़कों के साथ अपनी पढ़ाई की. साल 1968 में 22 जुलाई को दुनिया से विदा ले लिया.