
नगालैंड में तेजी से बदलते घटनाक्रम में ऐसा लगता है कि बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू है. उसके और एनडीपीपी के गठबंधन को ज्यादा सीटें तो मिली ही हैं, दूसरी तरफ, बहुमत के करीब दिख रहा एक महीने पहले तक का साझेदार एनपीएफ भी उसके साथ फिर से रिश्ता जोड़ने को तैयार दिख रहा है.
एनपीएफ के नेता टीआर जेलियांग ने एक न्यूज चैनल से यहां तक कहा कि हिमंता बिस्वा सरमा और किरण रिजिजू जैसे बीजेपी के कई नेता उनके संपर्क में हैं और वे सरकार में बीजेपी का स्वागत करेंगे.
अब यहां सवाल नैतिकता का है कि क्या एक महीने पहले ही BJP ने चुनाव पूर्व जिसके साथ गठबंधन बनाया था, उस एनडीपीपी का हाथ झटक कर फिर अपने पुराने पार्टनर के पास जाएगी? अभी अंतिम परिणाम नहीं आया है और रुझानों में काफी उतार-चढ़ाव रहा. इस बीच सरकार बनाने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. टीआर जेलियांग का बयान राज्य में चल रहे राजनीतिक दांव-प्रतिदांव का संकेत देता है.
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बीजेपी ने जिस पार्टी के 15 साल के रिश्ते को फरवरी महीने में ही तोड़ दिया था, उसे ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं. फायदे की आस में बीजेपी ने गत फरवरी महीने में ही नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) से गठबंधन किया.
नगालैंड में बीजेपी इस बार नवगठित नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनावी अखाड़े में उतरी थी. दोनों ने क्रमश: 20 और 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. राज्य की 60 में से 59 सीटों पर 27 फरवरी को वोटिंग हुई थी. एक सीट पर एनडीपीपी के नेता नेफियू रियो पहले ही निर्विरोध जीत चुके हैं.
राज्य में अभी नगा पीपल्स फ्रंट यानी एनपीएफ की सरकार थी. ये वही एनपीएफ है जिसके साथ बीजेपी का करीब 15 साल पुराना गठबंधन था. नगालैंड की सत्ता पर नगा पीपल्स फ्रंट 2003 से ही काबिज है. यह सत्ता एनपीएफ ने कांग्रेस को बेदखल करके हासिल की थी. शुरहोजेलि लियोजित्सु इसके अध्यक्ष हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में एनपीएफ ने राज्य की 60 सीटों में से 37 सीट पर जीत दर्ज की थी.
नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के अध्यक्ष चिंगवांग कोन्याक हैं. एनडीपीपी का गठन पिछले साल ही हुआ था. पार्टी मुख्यतः नगा पीपल्स फ्रंट के विद्रोही नेताओं व विधायकों की है, जिन्होंने नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री नेफियू रियो का समर्थन किया.
जनवरी 2018 में ही नगा पीपल्स फ्रंट के भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद नेफियू रियो ने एनडीपीपी पार्टी का दामन थाम लिया. इसी महीने एनपीएफ के 10 विधायकों ने भी पार्टी का दामन थाम लिया. भाजपा ने पिछले महीने एनडीपीपी से गठबंधन कर लिया. नेफियू रियो फिलहाल लोकसभा के सदस्य हैं और पीएम मोदी की पसंद हैं.