
क्रातिंकारी राजगुरु को आरएसएस ने एक स्वयंसेवक बताया है. पूर्व संघ प्रचारक नरेंद्र सहगल की किताब में दावा किया गया है कि राजगुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मोहिते बाड़े शाखा के स्वयंसेवक थे और वे डॉ. हेडगेवार ने उनकी काफी मदद भी की थी. इस किताब में ये भी कहा गया है कि डॉ. हेडगेवार ने राजगुरु को पूना अपने गांव कभी ना जाने की सलाह दी थी क्योंकि वहां पर उनके गिरफ्तार होने का पूरा खतरा था. लेकिन राजगुरु पूना चले गए और वहां से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
दरअसल नरेंद्र सहगल की किताब 'भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता' में जिक्र किया गया है कि लाला लाजपत राय की शहादत का बदला लेने के लिए सरदार भगत सिंह और राजगुरु ने पुलिस अफसर सांडर्स को लाहौर की मालरोड पर दिन-दहाड़े गोलियों से उड़ा दिया. दोनों क्रांतिकारी फरार होकर लाहौर से बाहर निकल गए.
किताब में कहा गया है कि राजगुरु नागपुर आकर डॉ. हेडगेवार से मिले. राजगुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मोहिते बाड़े शाखा के स्वयंसेवक थे. नागपुर के एक हाई स्कूल भोंसले वेदशाला के विद्यार्थी रहते हुए राजगुरु का डॉ. हेडगेवार से घनिष्ठ परिचय था. इसीलिए डॉ. हेडगेवार ने राजगुरु के ठहरने और खाने आदि की व्यवस्था कराई.
अपनी इस किताब में नरेंद्र सहगल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और डॉ. हेडगेवार की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका का उल्लेख किया है. सरसंघचालक मोहन भागवत ने लिखा है कि पिछले 92 वर्षों में संघ के स्वयंसेवकों ने भारत की स्वतंत्रता और सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन उनके योगदान पर स्वार्थी तत्व पर प्रश्नचिह्न लगाते चले आ रहे हैं.
(इनपुट- गूगल किताबों पर उपलब्ध नरेंद्र सहगल की किताब 'भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता' )