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'स्वच्छ भारत मिशन योजना की उपलब्धियां और दिशाएं?', 'पिछले एक साल में भारत-चीन संबंधों की स्थिति और उसमें प्रधानमंत्री श्री मोदी का योगदान?' ये सवाल भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता से नहीं पूछे गए हैं, बल्कि देश के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान आईआईएमसी (IIMC) के एंट्रेस टेस्ट में छात्रों से पूछे गए हैं. अब यह पेपर चर्चा का विषय बन गया है.
आरोप है कि प्रश्न पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक लाभ से संबधित सवाल पूछे गए थे और पेपर में कई व्याकरण की गलतियां भी हैं. पेपर को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अपनी राय दे रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों शिक्षण संस्थानों को विचारधारा का अखाड़ा बना दिया गया है.
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बता दें कि आखिर यह विवाद क्यों खड़ा हुआ है? दरअसल हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए करवाए गए पेपर के 2 नंबर सवाल में किसी एक टॉपिक पर 250 शब्दों में टिप्पणी लिखने को कहा गया था. उसके लिए पांच टॉपिक सुझाए गए थे. इन पांच विषयों में से चार विषय में मोदी सरकार का गुणगान करने वाले विषय थे.
इस प्रश्न पत्र को लेकर एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि क्यों शिक्षण संस्थानों को विचारधारा का अखाड़ा बनाया जा रहा है? और आखिर इतने बेहतरीन संस्थानों को क्यों राजनीतिक लाभ के लिए नष्ट किया जा रहा है?
एक यूजर ने लिखा है-
वहीं प्रश्न पत्र में कई हिंदी के टाइपो एरर भी हैं, जो कि बहुत असामान्य है. बता दें कि प्रश्न पत्र में प्रश्नों, इलेक्ट्रॉनिक, पृष्ठ, निर्धारित, अधिकतम, के, विधुतीकरण, नॉट आउट, शी.जिनपिंग आदि शब्द गलत लिखे हैं. जबकि अंग्रेजी के पेपर में कई छात्रों ने केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री का नाम पूछने को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं.
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गौरतलब है कि इस साल 6500 के आस पास आवेदन आए हैं और 27 मई को एंट्रेस परीक्षा का आयोजन किया गया था. वहीं शनिवार को भारतीय जनसंचार संस्थान ने ओड़िया, मराठी, मलयालम और उर्दू पत्रकारिता में दाखिले के लिए परीक्षा आयोजित की थी.