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BSP से बर्खास्त नसीमुद्दीन ने सुनाया मायावती का ऑडियो, कहा- 50 करोड़ मांगे गए

अपनी बात रखते हुए नसीमुद्दीन ने कहा कि चुनाव नतीजों के बाद मुझे दिल्ली बुलाया और कहा कि जो मैं जानना चाहती हूं कि उसे अपने नेता को सही-सही बताना चाहिए. मैं जानना चाहती हूं कि मुसलमानों ने बीएसपी को वोट क्यों नहीं दिया.

फाइल फोटो फाइल फोटो
मोहित ग्रोवर/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 11 मई 2017,
  • अपडेटेड 8:06 PM IST

बहुजन समाज पार्टी में कभी नंबर दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बर्खास्तगी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में नसीमुद्दीन ने आरोप लगाने के साथ ही कई ऑडियो क्लिप भी सुनाए.

उन्होंने कहा कि मायावती ने चुनाव नतीजों के बाद मुझे दिल्ली बुलाया और पूछा कि मुसलमानों ने बसपा को वोट क्यों नहीं दिया? बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जो मैं जानना चाहती हूं कि उसे अपने नेता को सही-सही बताना चाहिए.

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इसके बाद मायावती ने कहा कि विधानसभा चुनावों में अपर कास्ट, पिछड़े वर्ग के मतदाताओं ने भी बसपा को वोट नहीं दिया. इसके साथ दलितों में धोबी, सोनकर, पासी और कोरी ने भी बसपा को वोट नहीं दिया.

'मुसलमान कन्फ्यूज हुआ, वोट बंट गया'
लंबे समय तक मायावती के विश्वास पात्र रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि जब तक गठबंधन नहीं हुआ था. मुसलमान हमारे साथ था, लेकिन गठबंधन होने के बाद मुसलमान कन्फ्यूज हो गया और वोट बंट गया. ऐसा नहीं है कि हमें मुसलमानों को वोट नहीं मिला, लेकिन हां समर्थन कम मिला है.'

उन्होंने कहा, 'मेरी बात से असहमति जताते हुए बसपा सुप्रीमो ने मुझे गाली दी और कहा कि मैं उन्हें मूर्ख बना रहा हूं. मायावती ने कहा कि मुसलमान धोखेबाज हैं. दाढ़ी वालों ने कभी बसपा का साथ नहीं दिया.'

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नसीमुद्दीन ने कहा कि मायावती ने सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं बल्कि धोबी, पासी, कोहार सभी को बुरा भला कहा.

सिद्दीकी ने सुनाया ऑडियो क्लिप
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती के खिलाफ कई सबूत होने का दावा भी किया. उन्होंने माया के साथ बातचीत के कई ऑडियो क्लिप भी सुनाए, इनमें मायावती नसीमुद्दीन से बात करते हुए मेरठ और अन्य मंडलों के उम्मीदवारों से हिसाब मांग रही है. और उन्हें अपने साथ लेकर आने को बोल रही हैं. वहीं एक दूसरे टेप में मायावती नसीमुद्दीन को मिलने के बुला रही है. जिसमें नसीमुद्दीन कह रहे हैं कि अमुक व्यक्ति के साथ आऊंगा. मायावती फिर उन्हें अकेले आने के लिए जोर देती हैं, तो वे कहते हैं कि आनंद भैया और सतीश चंद्र मिश्रा ने उनको बहुत टॉर्चर किया. उन्हें अकेले आने में डर लग रहा है.

'माया ने कांशीराम को भी बेइज्जत किया'
नसीमुद्दीन ने कहा कि मायावती जी ने 2002 के पंजाब और यूपी विधानसभा चुनाव में कांशीराम को बेइज्जत किया और खुद को कांशीराम से ऊपर साबित करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि सतीश मिश्रा और उनके दामाद को छोड़कर बाकी सभी की तलाशी होती है. उनसे मिलने वालों का मैंने विरोध किया तो वो नाराज हो गईं. सतीश मिश्रा और आनंद कुमार मौजूदगी में मेरी बेइज्जती की गई.

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'पार्टी को पैसे चाहिए, 50 करोड़ लाओ'
नसीमुद्दीन ने कहा कि एक बार उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि पार्टी को पैसे की जरूरत है. उन्होंने मुझसे 50 करोड़ मांगे. जब मैंने उनसे कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने संपत्ति बेचने को कहा. मैंने इस पर उन्हें रोका और कहा कि नोटबंदी के बाद कैश में पैसा मिलना मुश्किल है, लेकिन वो लगातार पैसा मांगती रही. इसके बाद मैंने पैसा जुटाने की कोशिश की. अपनी संपत्ति बेचना चाहा. मैंने थोड़ा बहुत पैसा जुटाया और मायावती को इसे बारे में बताया तो उन्होंने मुझसे पूरा पैसा लेकर आने को कहा.

उन्होंने कहा कि जब वे बदायूं से चुनाव लड़ रही थी, तब मैं पोल एजेंट था. मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि बेटी गंभीर रूप से बीमार है. मैंने मायावती को इस बारे में बताया और घर जाने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्होंने मुझे रोक दिया. अगले दिन मुझे मालूम चला कि बेटी का निधन हो गया है. मायावती ने मुझे उसके अंतिम संस्कार में भी नहीं जाने दिया.

बीएसपी की जड़ें खोद रहे माया-मिश्रा
इसके साथ उन्होंने आगे जोड़ा कि बसपा सुप्रीमो ने मुझे उम्मीदवारों से संपर्क करने और पैसे मांगने कहा. नसीमुद्दीन ने कहा, 'मैं जानता था कि वे मुझे पार्टी से निकालने वाली है. मैंने पार्टी को 34 साल दिए हैं. मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा बीएसपी की जड़ें खोद रहे हैं. मायावती ऐसा इसलिए कर रही हैं क्योंकि वो नहीं चाहतीं कि दलित समुदाय के कोई और मुख्यमंत्री बने.'

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उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन हैं. बूचड़खाना चलाने का आरोप झूठा है. व्यापारियों से पैसे की उगाही का आरोप निराधार है. मुझे इन आरोपों पर जवाब देने के लिए भी समय नहीं दिया गया.

हत्या करवाना चाहती थीं सुश्री
ताज कॉरीडोर मामले पर उन्होंने कहा कि मुझे क्लीन चिट मिली. सीबीआई ने कहा कि मेरे पास कोई बेनामी संपत्ति नहीं है, लेकिन मायावती के पास है. मेरे खिलाफ लोकायुक्त, विजिलेंस और ईडी से जांच कराई गई, लेकिन सभी ने मुझे क्लीनचिट दिया. सिद्दीकी ने मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा की संपत्तियों की जांच की मांग की.

उन्होंने कहा, 'मैंने मिलिट्री में देशसेवा की है. सेना का नमक का खाया है. मैं किसी से नहीं डरता नहीं. मायावती जो करना चाहती हैं, कर लें.' नसीमुद्दीन ने कहा कि मेरा घर जलाया जा सकता है क्योंकि मायावती ऐसा करवाती रहीं हैं. मीडिया के खिलाफ हमले करवाती रही हैं. नेताओं के खिलाफ हमले करवाती रही हैं. मुझे पता है कि सुश्री ने किसकी हत्या करवाना चाहती थीं.

इससे पहले नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती पर पलटवार किया था. सिद्दीकी ने मायावती पर भ्रष्टाचार और अवैध लेन-देन के आरोप साबित करने का दावा किया था. साथ ही सिद्दीकी ने मायावती के प्रति अपनी वफादारी को भावुक अंदाज में बयां किया है. प्रेस रिलीज के जरिए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. साथ ही उन्होंने दावा किया कि, 'जो आरोप मेरे ऊपर लगाये गए हैं, वो सभी आरोप मैं सबूत के साथ मायावती एंड कंपनी के खिलाफ साबित कर दूंगा.'

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उधर बीएसपी नसीमुद्दीन सिद्दीकी को निकालने के बाद जल्द ही विधान परिषद में अपने नए नेता के नाम का ऐलान कर सकती है. माना जा रहा है की पार्टी गुरुवार शाम तक नसीमुद्दीन को विधान परिषद के नेता पद से हटाने का पत्र जारी करेगी और नए नेता का नाम भेजेगी.

स्वाति सिंह मामले में भी नसीमुद्दीन की बढ़ सकती है मुश्किलें
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ स्वाति सिंह और उनकी बेटी पर अभद्र टिप्पणी मामले में पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर ली है और जल्द ही वो चार्जशीट सौंप सकती है. बसपा नेता राम अचल राजभर और मेवालाल गौतम के खिलाफ भी हज़रतगंज पुलिस ने चार्जशीट तैयार की है. ऐसे में नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ना तय है.

'दिया वफादारी का उदाहरण'
अपनी सफाई में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि, 'बसपा का साथ थामने के साथ से लेकर अब तक मैंने मायावती के लिए बहुत कुर्बानियां दीं. मायावती के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के नसीमुद्दीन ने एक उदाहरण दिया.

भावुक हुए थे सिद्दीकी
सिद्दीकी ने लिखा, '1996 में यूपी विधानसभा के चुनाव थे. मायावती जी बदायूं की बिल्सी सीट से चुनाव लड़ रही थीं. मैं चुनाव प्रभारी था. चुनाव के दौरान मेरी इकलौती बड़ी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई. वो बांदा में थी. मेरी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था. उसने फोन पर बताया कि बेटी की आखिरी सांस चल रही है, आप आ जाओ. मैंने मायावती जी को ये बताया. उन्होंने चुनाव खराब होने का हवाला देते हुए मुझे जाने से रोक दिया. मैं नहीं गया. मेरी इकलौती बेटी का ईलाज के अभाव में इंतकाल हो गया. मैं अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया और मायावती जी का चुनाव लड़ाता रहा. मैं अपनी बेटी की सूरत तक नहीं देख सका.' ये भावुक अपील करते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मेरे वफादारी का सिला मुझे पार्टी से बाहर निकालकर दिया गया है.

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मुसलमानों के ऊपर लगाए गलत आरोप
नसीमुद्दीन ने चुनाव में बीएसपी की हार का भी जिक्र किया. सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मायावती अपनी गलत नीतियों के कारण 2009 लोकसभा चुनाव, 2012 विधानसभा चुनाव और 2014 लोकसभा चुनाव हारीं. और उन्होंने मुसलमानों के ऊपर गलत आरोप लगाए.

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