
मालेगांव ब्लास्ट केस में सात आरोपियों पर आतंकी साजिश रचने का आरोप तय हो जाने के बाद इस मामले का ट्रायल शुक्रवार से शुरू होना था, लेकिन अदालत ने इस मामले की सुनवाई 12 नवंबर तक के लिए टाल दी है. बता दें कि एनआईए कोर्ट ने आरोपियों पर हत्या और अन्य अपराध का आरोप भी दर्ज किया है. इस मामले में यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत ट्रायल होगा.
इससे पहले बीते सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर्नल पुरोहित की उनके खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों पर मंगलवार को आरोप तय किए गए थे.
इस संगीन मामले में सातों आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 18 और 16, आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 307, 324, 326, 427, 153ए और विस्फोटक कानून की धारा 3,4,5 और 6 के तहत आरोप तय किए गए हैं. इसमें धारा 302 हत्या, 120 बी साजिश रचने और 307 हत्या की कोशिश करने के लिए लगाई गई है.
मंगलवार को अपने फैसले में सेशन जज वीएस पडलकर ने कहा था, सभी आरोपियों पर अभिनव भारत संस्था बनाने और 2008 में मालेगांव धमाका करने का आरोप लगाया जाता है. जिसमें 6 लोग मारे गए थे. जिन 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए, उनमें साध्वी प्रज्ञा, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, ले.क. पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय राहिरकर के नाम शामिल हैं.
अदालत ने फैसला देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 नवंबर का दिन तय किया था. हालांकि सभी आरोपियों ने अपने पर लगे आरोपों से इनकार किया है. आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी ने कहा कि 'सभी आरोप बेबुनियाद हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अभिनव भारत आतंकी संस्था नहीं है.'
आरोपी पुरोहित ने एनआईए के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसे गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी बनाया गया है. मालेगांव धमाका मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सात आरोपियों को अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट जमानत मिल गई थी. आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिली थी.
पुरोहित ने कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें मालेगांव धमाका मामले में जानबूझ कर फंसाया गया है क्योंकि वो आईएस और सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठनों के पीछे कौन है, इसकी जांच कर रहे थे. इतना ही नहीं, उन्होंने आर्मी रिपोर्ट को भी याचिका में संलग्न किया है जिसमें वो अपने काम का सारारा दे रहे थे. पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और यूएपीए के तहत अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त ट्रायल कोर्ट की धाराएं हटाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था. तब कोर्ट ने पुरोहित से कहा था कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय होते समय अपनी मांग रखनी चाहिए.
पुरोहित को 21 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत मिली थी. कर्नल पुरोहित पिछले 9 साल से जेल में बंद चल रहे थे. जमानत पर जिरह के दौरान उनके वकील ने अदालत से कहा था कि पुरोहित के खिलाफ मकोका के तहत आरोप हटा दिए गए हैं, इसलिए पुरोहित अंतरिम जमानत के हकदार हैं. जबकि एनआईए ने पुरोहित की इस दलील का विरोध करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ सबूत हैं जो आरोप तय करने में मददगार होंगे.
ये था पूरा मामला
महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को खौफनाक बम ब्लास्ट हुआ था. उस धमाके में 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे. इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने की बात सामने आई थी. जिसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित भी शामिल था.