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Navratri 2018: कलश स्थापना में हो गई है देरी तो अभिजीत मुहूर्त है बाकी

(Shubh Muhurat for Navratri Kalash Sthapana) अगर सुबह कलश स्थापना में देरी हो गई है तो अभिजीत मुहूर्त में करें कलश स्थापना. जानिए कलश स्थापना के नियम,  विधि-विधान और सही दिशा.

Navratri 2018 Kalash Sthapana (नवरात्रि 2018) Navratri 2018 Kalash Sthapana (नवरात्रि 2018)
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

(Shubh Muhurat for Navratri Kalash Sthapana) शारदीय नवरात्र का पावन पर्व आरंभ हो चुका है. इन नौ दिनों में भक्तजन देवी साधना कर उनकी कृपा पाएंगे. नवरात्र के पहले दिन घरों में कलश की स्थापना की जाती है जिसका खास महत्व होता है. कलश के सामने एक बर्तन में जौ भी बोई जाती है.

 नवरात्र के पहले दिन दिन कलश स्थापना (Kalash Sthapana 2018 October Date)

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कलश स्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि को किया जाएगा. यह चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में संपन्न होगा. आइए जानते हैं नवरात्रि घटस्थापना के सबसे श्रेष्ठ और उत्तम मुहूर्त कौन से हैं और इसकी स्थापना विधि के नियम क्या हैं?

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नवरात्रि कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2018 (Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2018)-

इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बुधवार को सिर्फ एक घंटे दो मिनट तक ही था. कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06:22 से 07:25 तक का था. इस मुहूर्त में अगर आप कलश स्थापना नहीं कर पाए हैं तो परेशान ना हों, आप अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं. 10 अक्‍टूबर को सुबह 11:36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा, इस अवधि में भी कलश स्‍थापना कर सकते हैं.

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नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना (Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)

नवरात्र के प्रथम दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापन करें. कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें. कलश स्थापन के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें.

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संभव हो, तो नदी की रेत रखें. फिर जौ भी डालें. इसके उपरांत कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें. फिर 'ॐ भूम्यै नमः' कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें.

अब कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नमः' कहें और जल से भर दें. इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें. तत्पश्चात् जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें. अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें.

हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें. इसके बाद 'ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते. मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें. कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!' से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें.

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