
शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू हो गए और इसी के साथ घरों में कलश स्थापना के साथ ही मां का आगमन भी हो गया है. नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप श्री शैलपुत्री का पूजन किया जाता है.
मां के इस भव्य स्वरूप की उत्पत्ति शैल यानी पत्थर से हुई है और इसीलिए मां को शैलपुत्री नाम से जाना जाता है. मां के इस स्वरुप को वृषारूढ़ भी कहते हैं क्योंकि मां शैलपुत्री का वाहन वृष यानी बैल है.
प्रथम दिन का ऐसे करें पूजन
- मां को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें.
- मां को मौसमी फल या फिर सफेद बर्फी का भोग लगाएं.
- मां के पूजन का शुभ समय दिन में 11.40 से 12.45 है.
- ॐ शैल पुत्रैय नमः एकाक्षरी बीज मंत्र का जाप करें.
- सप्तशती का अचूक मंत्र:
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थ साधिके।
मम सिद्घिमसिद्घिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय॥
मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल और कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है.