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बस्तर में फिर तेज हुआ नक्सली उत्पात, तीन ग्रामीणों की हत्या और दर्जनों वाहनों को किया आग के हवाले

अपना दबाव बनाने के लिए वे विकास कार्यो में लगे मजदूरों से मारपीट कर रहे हैं. निर्माण कार्यो में लगे वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं और तो और अलग- अलग इलाकों में पहुंचकर नक्सलवाद के खिलाफत करने वालों को मौत के घाट उतार रहे हैं. 

नक्‍सलियाें का उत्‍पाद नक्‍सलियाें का उत्‍पाद
सुनील नामदेव/दिनेश अग्रहरि
  • रायपुर ,
  • 14 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:16 AM IST

बस्तर में एक बार फिर नक्सलियों ने उत्पात करना शुरू कर दिया है. अपना दबाव बनाने के लिए वे विकास कार्यो में लगे मजदूरों से मारपीट कर रहे हैं. निर्माण कार्यो में लगे वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं और तो और अलग- अलग इलाकों में पहुंचकर नक्सलवाद के खिलाफत करने वालों को मौत के घाट उतार रहे हैं. 

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बीते 24 घंटो में नक्सलियों ने तीन ग्रामीणों की हत्या कर दी. नक्सली उत्पात यही नहीं थमा. केशकाल घाटी में लगभग दर्जनभर वाहनों को नक्सलियों ने आग के हवाले कर दिया. NMDC बचेली के डिपॉजिट - 5 पंप हाउस को भी जलाकर नष्ट कर दिया गया.

बस्तर में भारी भरकम सुरक्षाबलों की बावजूदगी के बावजूद नक्सली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. केशकाल घाटी में नक्सलियों ने मुखबिरी का आरोप लगाकर एक शख्स की हत्या कर दी. दिनदहाड़े उन्होंने दर्जनभर वाहनों को आग के हवाले कर दिया. ये सभी वाहन सड़क निर्माण कार्य में लगे थे.

ईरा गांव इलाके में 25, 30 नक्सलियों ने सड़क निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को काम में ना आने की चेतावनी देते हुए मौके से भगा दिया. इसके बाद एक के बाद एक वाहनों में आग लगा दी. जलाए गए वाहनों में ट्रक, ट्रैक्‍टर, पिकअप, जेसीबी, रोलर और मिक्सचर मशीन शामिल है. एसपी आशुतोष सिंह के मुताबिक नक्सलियों ने विकास कार्य बंद करने की चेतावनी देते हुए बैनर पोस्टर भी लगाए है, जिसे जब्‍त कर लिया गया है.

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दूसरी ओर दंतेवाड़ा के बचेली में NMDC की डिपॉजिट -5 में मंगलवार की रात नक्सलियों ने दबिश दी. करीब आधा सैकड़ा हथियारबंद नक्सलीपंप हाउस में दाखिल हुए. इसके बाद उसमे आग लगा दी. वाटर सप्लाई लाइन को भी उन्होंने काट दिया. सुकमा में पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर नक्सलियों ने दो ग्रामीणों की हत्या कर दी. दोनों ही ग्रामीण सड़क निर्माण कार्य में मजदूरी करते हैं. पुलिस के मुताबिक नक्सली ग्रामीण विकास योजना का विरोध कर रहे हैं. मज़दूर काम पर ना पहुंचे इसके लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है. 

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