
पुणे की महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर नयना पुजारी गैंगरेप और मर्डर केस में मंगलवार को कोर्ट ने तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश एलएल येनकर ने इस मामले में योगेश अशोक राउत, महेश बालासाहेब ठाकुर और विश्वास हिंदूराव कदम को अपहरण, लूट, गैंगरेप और मर्डर का दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया.
विशेष सरकारी वकील हर्षद निंबालकर ने इस वारदात को 'दुर्लभतम' करार देते हुए पीड़िता के साथ की गई बर्बरता का हवाला देते हुए दोषियों को मौत की सजा देने की जोरदार मांग की थी. दोष तय होने के बाद उन्होंने कहा, 'पीड़िता के साथ जिस बर्बर तरीके से गैंगरेप किया गया और उसके बाद उसकी हत्या की गई, यह एक दुर्लभतम मामला बनता है.'
8 साल पहले हुई वारदात
नैना पुजारी पुणे के खराडी स्थित सिनक्रोन आईटी कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी. वह हर रोज सुबह 7 बजे ऑफिस के लिए घर से निकलती और शाम 7 बजे तक घर आ जाती थी. वह अक्सर कंपनी की बस का इस्तेमाल करती थी, लेकिन कभी सार्वजनिक साधन से भी आती थी. 7 अक्टूबर, 2009 को 8 बजे नयना की ड्यूटी खत्म हो गई.
कंपनी में ड्राइवर था राउत
नयना पुजारी घर लौटने के लिए बस का इंतजार कर रही थीं, तभी उन्हीं की कंपनी में ड्राइवर की नौकरी करने वाले योगेश अशोक राउत ने उन्हें अपनी कार से घर छोड़ने के लिए कहा. नयना उसे जानता थी, इसलिए बैठ गई. राउत ने आगे जाने के बाद नयना के घर की बजाय कार राजगुरुनगर की ओर मोड़ दी और रास्ते में दो मित्रों को भी कार में बिठा लिया.
चलती कार में किया गैंगरेप
इसके बाद तीनों दरिंदों ने चलती कार में नयना पुजारी के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया. एक सुनसान इलाके में कार खड़ी कर नयना का डेबिट कार्ड छीन लिया और चाकू की नोक पर नयना से डेबिट कार्ड का पिन कोड भी उगलवा लिया. इतना ही नहीं हैवानों ने नयना के बैंक खाते से डेबिट कार्ड के जरिए 61 हजार रुपये भी निकाल लिए.
स्कार्फ से गला घोंटकर हत्या
गैंगरेप और लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों ने नयना के स्कार्फ से गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी. उनका चेहरा पत्थर से कूच डाला, ताकि उसकी पहचान न हो सके. उन्होंने इसके बाद नयना का शव जारेवाड़ी के जंगलों में जमीन में गाड़ दिया. इधर, रात को 9.30 बजे तक इंतजार करने के बाद पति ने कई रिश्तेदारों को फोन किया.
कपड़े और गहनों से पहचान
नयना के पति अभिजीत ने बताया था कि उन लोगों काफी खोजबीन के बाद देर रात को यरवदा थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. अगले दिन पुलिस ने विमाननगर और कल्याणी नगर के एटीएम से पैसे निकाले जाने के बारे में जानकारी दी थी. करीब दो दिन बाद नयना का शव मिला. उसके कपड़े और गहनों से उसकी पहचान हो सकी.
तारीख-दर-तारीख पूरा घटनाक्रम
9 अक्टूबर, 2009: सॉफ्टवेयर इंजीनियर नयना पुजारी का पुणे के जारेवाड़ी के जंगल में क्षत-विक्षत शव मिला.
16 अक्टूबर, 2009: पुलिस ने योगेश राउत, महेश ठाकुर और राजेश चौधरी को हिरासत में लिया.
9 दिसंबर 2009: पुणे पुलिस ने एक अन्य आरोपी विश्वास कदम को गिरफ्तार कर लिया, जिसने जुर्म को कबूल कर लिया.
12 जनवरी, 2010: योगेश राउत, महेश ठाकुर, विश्वास कदम और राजेश चौधरी के खिलाफ पुलिस ने चार्जशिट दाखिल किया.
2 फरवरी, 2010: विशेष न्यायाधीश एसएम पोडलिकार ने चारों आरोपियों के नार्को टेस्ट की इजाजत दी थी.
30 अप्रैल, 2010: इस केस में हर्षद निंबालकर को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया.
17 सितंबर, 2011: मुख्यआरोपी योगेश राउत जेल से अस्पताल जाते वक्त पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया.
जून, 2013: मुख्यआरोपी योगेश राउत को महाराष्ट्र के धार्मिक स्थल शिर्डी से फिर गिरफ्तार कर लिया गया.
8 मई 2017: अपहरण, लूट, गैंगरेप और मर्डर केस में कोर्ट ने योगेश राउत, महेश ठाकुर और विश्वास कदम को दोषी करार दिया.
9 मई 2017: कोर्ट ने तीनों प्रमुख आरोपियों के लिए सजा-ए-मौत का ऐलान किया.