
भीषण गर्मी में दिल्ली पानी के लिए तरस रही है. कहीं विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो कहीं टैंकर से भरने के लिए मारामारी हो रही है. इस समस्या को सुलझाने के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिए गए. पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए पुरानी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में सोलर पैनल टंकी लगाए ताकि लोगों को पीने का साफ पानी मिल सके, लेकिन अब ये सोलर टंकी किसी काम के नहीं हैं. कई सोलर टंकी खराब पड़े हैं तो कई ऐसे ही पड़े हैं. रख-रखाव के अभाव में ये सारी मशीनें खराब होती जा रही हैं.
क्या है सोलर टंकी?
दरअसल पानी की समस्या से निजात दिलाने और पीने के साफ पानी को लेकर दिल्ली में जगह-जगह पर 30 हजार लीटर की सोलर टंकियां लगाई गई. जिसके ऊपर बिजली के लिए सोलर पैनल लगाए गए. साथ ही पानी के लिए बोरवेल लगाए और साफ पानी के लिए (RO) मशीन से टंकी को जोड़ दिया गया. यानी सोलर पैनल की मदद से बोरवेल से पानी टंकी में जाता है और फिर टंकी से आरओ मशीन के द्वारा पीने का साफ पानी मुहैया कराया जाता है.
क्या है योजना?
केन्द्र सरकार ने साल 2012-13 में नवीकरणीय ऊर्जा स्कीम लेकर आई थी, दिल्ली सरकार ने इस योजना की शुरुआत साल 2013 में की, इसे लगाने का जिम्मा बीएसईएस को दिया गया था और फंडिंग दिल्ली सरकार ने की. एक सोलर टंकी लगाने का खर्च करीब 6 लाख रुपये था. दिल्ली में बिजली-पानी हमेशा से बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है. इसलिए उस वक्त की सीएम शीला दीक्षित ने इस योजना को फौरन लपक लिया. कांग्रेस ने सोचा था कि सोलर टंकी से लोगों को RO का पानी मिलेगा और बदले में उन्हें वोट मिल जाएगा. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद सरकार बदल गई. सरकार बदलते ही सोलर टंकियों की किस्मत भी बदल गई. दिल्ली के तमाम इलाकों में लगी ये सोलर टंकियां अब धूल फांक रही हैं.
कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं
गौरतलब है कि साल 2013 में जब इन सोलर टंकियों को लगाया गया तो व्यापारियों से लेकर रिक्शेवाले और रेहड़ीवाले खूब खुश हुए थे, क्योंकि गर्मियों में उनके लिए साफ पीने पानी की इंतजाम हो गया था. बिजली रहे या ना रहे सोलर एनर्जी से चलने वाली ये पानी की टंकियां कहीं एक साल तो कहीं दो साल तक लोगों की प्यास बुझाती रहीं. लेकिन जब रख-रखाव के अभाव में इन टंकियों ने काम करना बंद कर दिया तो लोग पुराने विधायकों के पास गए तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए दो टूक कह दिया कि इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी नई सरकार की है. आखिर ये किसकी जिम्मेदारी है और कब इन सोलर टंकियों की किस्मत खुलेगी ये बड़ा सवाल है?