
हालांकि इसे बुधवार को ही किया जाना था, लेकिन इसमें देरी हो रही है क्योंकि सरकार के पास संविधान संशोधन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत नहीं है और ओली सरकार इससे थोड़ा पीछे है.
इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्याली ने उम्मीद जताई थी कि यह बिल जल्द ही पारित हो जाएगा. यह पूछे जाने पर कि यह कब तक किया जा सकेगा, उन्होंने कहा कि यह पहले से ही संसद के एजेंडे में है.
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उन्होंने कहा कि गुरुवार को बजट पेश होना है इसलिए शायद शुक्रवार को संशोधन बिल के आने की संभावना है. मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत जल्द इस बिल को नेपाल में सभी दलों का समर्थन हासिल हो जाएगा.
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हालांकि ऐसी अटकलें भी थीं कि देरी के पीछे नई दिल्ली की भूमिका हो सकती है. भारत सरकार के सूत्रों ने बताया था कि वे स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं.
सूत्र ने बताया कि हमने ध्यान दिया कि नेपाल में इस मामले पर एक बड़ी बहस चल रही है. यह इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करता है. यह भारत और नेपाल के बीच संबंधों से जुड़े मूल्य को भी प्रदर्शित करता है.
नेपाल में सरकार में संशोधन कराने के लिए जरूरी बहुमत से नौ वोट कम है. इस मुद्दे पर चर्चा करने और आम सहमति बनाने के लिए प्रधानमंत्री केपी ओली द्वारा मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक के दौरान, नेपाली कांग्रेस ने कहा था कि उन्हें पार्टी की कार्यसमिति द्वारा इसकी पुष्टि करनी होगी.
सूत्रों का कहना है कि मधेसी दलों के पास 33 सदस्य हैं, जो अपनी मांगों को पूरा करना चाहते हैं, जिसमें नागरिकता मामले पर संशोधन करने की मांग शामिल है.
इस बीच, भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि हम नेपाल के घटनाक्रम पर ध्यानपूर्वक नजर बनाए हुए हैं. सीमा विवाद निश्चित तौर पर बेहद संवेदनशील मुद्दा होता है और ऐसे मामलों के लिए आपसी स्तर पर भरोसा बना होना जरूरी होता है. इन संशोधनों के साथ, नेपाल न केवल अपने नए नक्शे की पुष्टि करेगा, बल्कि सरकार की आधिकारिक मुहर भी बदल देगा.
नेपाली कांग्रेस नेपाल के नक्शे को अपडेट करने के लिए संविधान संशोधन का समर्थन कर रही है और लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादित क्षेत्रों को अपने क्षेत्र में शामिल करना चाहती है.
यह कदम नेपाल के नक्शे को बदलने के लिए है और नक्शा उसका प्रतीक भी है. नेपाल कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह में अपडेटेड मैप को रखने के लिए संवैधानिक संशोधन एक सकारात्मक कदम है और संस्थागत रूप से गुरुवार को होने वाली केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में फैसला लिया जाएगा.