
चीन ने हांगकांग को कब्जाने के लिए नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाया है. इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हालांकि नेपाल ने चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का समर्थन किया है. साथ ही हांगकांग को चीन का आंतरिक मामला बताया है. हालांकि भारत हांगकांग के लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करता है.
मीडिया के सवाल पर नेपाल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भरत राज पौडेल ने साफ कहा, 'नेपाल अपनी एक चीन पॉलिसी को दोहराता है और हांगकांग को चीन का अभिन्न हिस्सा मानता है. शांति, कानून और व्यवस्था बनाए रखना एक राष्ट्र की प्राथमिक जिम्मेदारी है. नेपाल किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति में यकीन करता है और हांगकांग में कानून-व्यवस्था को लेकर चीन की कोशिशों का समर्थन करता है.'
आपको बता दें कि 28 मई को चीन की संसद ने हांगकांग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. इस कानून के लागू होने के बाद चीन की सुरक्षा एजेंसियों को हांगकांग में कार्रवाई करने की इजाजत मिल जाएगी. इसके बाद अमेरिका भी हांगकांग के साथ विशेष संबंध को खत्म करने का ऐलान कर कर चुका है.
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वहीं, चीन के खिलाफ हांगकांग में भी भारी नाराजगी है. साथ ही चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के अन्य देशों ने विरोध किया है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत भी हांगकांग के लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करता है. भारत के प्रधानमंत्री मोदी बहुत पहले ही अपने लोकतांत्रिक फलसफे को दुनिया के सामने रख चुके हैं.
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ब्रिटेन ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर चीन अपने नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को रद्द नहीं करता है, तो वह हांगकांग के लोगों को अपने यहां की नागरिकता देगा. इसके अलावा कोरोना वायरस को लेकर चीन की साख दुनिया में पहले ही गिर चुकी है. अमेरिका कोरोना वायरस के संकट के लिए सीधे तौर पर चीन को दोषी ठहराता है.