
अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) का एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर बयान देना महंगा पड़ा है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लताड़ लगाते हुए कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग का बयान गैर जिम्मेदाराना है. आर्ट ऑफ लिविंग ने वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल से यमुना को हुए नुकसान ले लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिए थे.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान कहा कि मीडिया रिपोर्ट साफ बता रही हैं कि यमुना के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों पर आर्ट ऑफ लिविंग का बयान पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना है. मीडिया में दिए बयानों में आर्ट ऑफ लिविंग ने रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया था. आर्ट ऑफ लिविंग ने मीडिया मे जारी किए गए बयान में कहा था कि रिपोर्ट बिना किसी छानबीन के बनाई गई है. रिपोर्ट में वैज्ञानिक जांच नहीं की गई. ये केवल एक्सपर्ट कमेटी की अपनी राय है और रिपोर्ट सही जमीनी हकीकत नहीं बता रहीं है.
आर्ट ऑफ लिविंग ने एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है और इसी अपील पर एनजीटी सुनवाई कर रहा है. इस मामले में याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद्ध और यमुना जियो अभियान के मनोज मिश्रा के वकील ने कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग ने एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट आने के अगले दिन ही मीडिया में अपना बयान जारी कर दिया था. रिपोर्ट पर तो उसने अपनी राय पहले ही बयां कर दी. ऐसे में उसे समय न दिया जाए.
एनजीटी ने 12 सितंबर तक मांगा जवाब
वहीं आर्ट ऑफ लिविंग के वकील ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं किया गया जैसा कोर्ट को बताया जा रहा है. दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग को जवाब दाखिल
करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. एनजीटी ने एओएल को निर्देश दिया की वह 12 सितंबर तक मामले में अपना जवाब दायर करें.
अगली सुनवाई 28 को
31 अगस्त को एओएल ने एनजीटी में अर्जी दाखिल कर जवाब देने के लिए समय बढ़ाने की कोर्ट से अपील की थी. 10 अगस्त को एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग से मामले में तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब दायर
करने का निर्देश दिया था. वहीं, जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर के नेतृत्व वाली एक्सपर्ट कमेटी को निर्देश दिया कि नुकसान का आंकलन कर बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों को फिर से बहाल करने के लिए अनुमानित राशि
के बारे में 45 दिनों के भीतर बताएं. मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तारीख तय है.
एक्सपर्ट कमेटी ने तैयार की 47 पन्नों की रिपोर्ट
इससे पहले एक्सपर्ट कमेटी ने अपने 47 पन्नों की निरीक्षण रिपोर्ट में कहा था कि तीन दिवसीय विश्व संस्कृति महोत्सव का आयोजन कर आर्ट ऑफ लिविंग ने यमुना के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है.
कमेटी ने कहा था कि डीएनडी फ्लाईओवर से लेकर बारापुला ड्रेन, (यमुना के दाएं तरफ) यमुना बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र का मामूली नुकसान नहीं पहुंचा है, वह पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. महोत्सव स्थल पर जमीन कठोर हो गई है
और वनस्पतियां, पेड़, पौधे, घास, जलकुंभी नष्ट हो गई हैं. ये कीचड़ में रहने वाले कीड़े व छोटे जानवरों का घर था. उनका घर नष्ट हो गया है और वह हमेशा के लिए यहां से चलें गए.
AOL पर लगा था 5 करोड़ का जुर्माना
इससे पहले एनजीटी के निर्देश पर आर्ट ऑफ लिविंग ने 5 करोड़ पर्यावरण मुआवजे के रूप में डीडीए के पास जमा कराएं थे. एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग पर जुर्माना के रूप में पांच करोड़ रुपये
पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क लगाते हुए उसे कार्यक्रम करने की इजाज़त दी थी. इसके बाद 11 मार्च को आर्ट ऑफ लिविंग की याचिका पर एनजीटी ने उसे 25 लाख पहले जमा करवाने के बाद बाकी की रकम तीन हफ्ते में
देने का निर्देश दिया था.