
गंगा की सफाई को लेकर एनजीटी ने सरकार और संबंधित विभागों को कड़ी फटकार लगाई है. एनजीटी ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि गंगा कि सफाई तो नहीं हुई बल्कि इसके जरिए संसाधन और पैसे की बर्बादी हो रही है. एनजीटी इस बात से नाराज है कि इस काम से जुड़े विभागों का गंगा की सफाई को लेकर आपस में ही कोई तालमेल नहीं है.
एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कहा कि गंगा की सफाई को लेकर न तो कोई एक्शन प्लान बनाया गया है और न ही इस दिशा में कोई गंभीर कोशिश की गई है. यहां तक कि नमामि गंगे प्लान में भी कोई गंभीरता नजर नहीं आयी जिसकी गंगा की सफाई हो सके.
बंद होगी कानपुर की चमड़ा फैक्ट्री!
एनजीटी ने विभागों को कहा कि अगर गंगा की सफाई को लेकर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च कर भी दिए जाएं तब भी नतीजा जीरो ही होगा. मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने चेतवानी देते हुए कहा कि क्यों न कानपुर की चमड़ा उद्योग को ही बंद कर दिया जाए क्योंकि कारखानों से बहने वाला कचरा सीधे गंगा में गिर रहा है. अभी तक कचरे को नदी में जाने से रोकने के लिए कोई भी सीवेज ट्रीटमेट प्लांट तक नहीं है.
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और नमामि गंगा प्रोजक्ट के अधिकारियो से बुधवार तक पूछा है कि कानपुर में गंगा में कितने नाले गिर रहे हैं और कितने सीवेज ट्रीटमेट प्लांट हैं. एनजीटी बुधवार को दोबारा इस मामले पर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गंगा की सफाई से जुड़ी तमाम यचिकाओं को एनजीटी में ट्रांसफर कर दिया गया है. एनजीटी ने 6 फरवरी से इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है.