
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत ANM और नर्सेज़ की भर्तियों में चल रही गड़बड़ियों को लेकर दिखाई गई आजतक की खबर का बड़ा असर हुआ है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने खबर के बाद गड़बड़ी में सुधार करते हुए संशोधित परिणामों को जारी किया है.
जारी किए गए नए रिजल्ट के मुताबिक, पुराने रिजल्ट के 258 अभ्यर्थी बाहर हो गए हैं. इन सभी अभ्यर्थीयों के अंक तय मानकों के अनुसार नहीं थे. इसके अलावा एचआर के जीएम संदीप सक्सेना को भी निलंबित किया गया है, उनपर ही मूल्यांकन और रिजल्ट बनाने की सारी जिम्मेदारी थी.
चिकित्सा विभाग की मानें, तो नई लिस्ट को हर जिले के हिसाब से वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. इनमें सामान्य वर्ग की कट ऑफ लिस्ट 33%, एससी-एसटी की कट ऑफ लिस्ट 24% है. संशोधित परिणाम आने के बाद अब सिर्फ 3814 अभ्यर्थी रह गए हैं, जबकि 22 दिसंबर को जारी किए गए रिजल्ट में 4072 अभ्यर्थी थे.
90 में से 3 नंबर पर भी मिली नौकरी
आपको बता दें कि हाल ही में आजतक ने इसी मसले पर खबर दिखाई थी. जिसमें यूपी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम) के तहत करीब 5 हजार स्टाफ नर्स और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एएनएम) की भर्ती में गड़बड़ी के सबूत मिले थे. सबूतों के तहत तय मानकों से कम नंबर पाने वालों की भी भर्ती की गई. कई मामलों में तो 90 में से 3 नंबर पाने वालों को भी नौकरी दे दी गई. वहीं, 90 में से 64 नंबर पाने वाले भी घोषित कर दिए गए. बता दें, ये मामला परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के विभाग से जुड़ा हुआ है.
जिनके थे 64 नंबर नहीं मिली उन्हें जगह
दरअसल सरकार ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों नेशनल हेल्मेंथ मिशन के तहत एएनएम और हेल्थ स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था. इसके जरिए 5000 भर्तियां होनी थी, लेकिन इन भर्तियों के रिजल्ट में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं. किसी जिले में 90 में से 3 नम्बर पाने वाले लोगों को भर्ती कर लिया गया तो किसी अन्य जिले में 90 में से 64 नंबर पाने वाले अभ्यर्थी को भी भर्ती नहीं किया गया.
वेबसाइट पर भी दिखी गड़बड़ी
यह भर्तियां लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर की गई हैं. महिला कल्याण और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से की गयी इन भर्तियों में अभ्यर्थियों ने गड़बड़ियों के आरोप सरकार पर लगाए हैं. अगर सरकारी वेबसाइट पर देखा जाए तो कई लोगों के रिजल्ट्स ऐसे हैं, जिससे उन्हें पासिंग मार्क्स भी नहीं मिले हैं. बावजूद इसके उन्हें भर्ती के लिए ठीक मान लिया गया, जबकि कई जिलों में ज्यादा नंबर पाने वाले लोग भी पीछे रह गए.
मंत्री ने दी थी ये सफाई
इस मामले के उजागर होने के बाद मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, 'सरकार ने पारदर्शी तरीके से भर्ती कराने के लिये हर जिले मे अलग मेरिट लिस्ट बनवाई है, इसलिए ऐसा हुआ है. जैसे कि किसी जिले में 100 लोग परीक्षा में बैठे और उसमें किसी ने अधिक्तम 10 अंक ही पाए तो उसकी भर्ती हो गई. लेकिन अगर किसी दूसरे शहर मे परीक्षार्थी ने पचास नंबर पाए, लेकिन उससे भी ज्यादा अंक पाने वाले लोग हैं तो उसकी भर्ती नहीं हुई. हर शहर की अलग मेरिट लिस्ट बनी है.'