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निर्भया केस: दोषी अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन पर कल सुनवाई करेगा SC

जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण क्यूरेटिव पिटीशन पर गुरुवार को सुनवाई करेंगे.

SC की पांच जजों की बेंच अक्षय की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगी (फाइल फोटो) SC की पांच जजों की बेंच अक्षय की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगी (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 6:06 PM IST

  • मुकेश और विनय की याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है
  • 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ में फांसी देने की तैयारी

निर्भया के दोषी अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा. पांच जजों की बेंच अक्षय की याचिका पर दोपहर 1 बजे सुनवाई करेगी. जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करेंगे. मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. अक्षय तीसरा दोषी है जिसने इस विकल्प का इस्तेमाल करने के लिए अर्जी लगाई है.

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इससे पहले अक्षय ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. मौत की सजा पाए विनय की क्यूरेटिव पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है. इस बीच निर्भया के चारों दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाने जाने की तैयारी चल रही है. जेल में डमी फांसी देकर इसका अभ्यास किया जा रहा है. सोमवार को एक बार फिर इसका अभ्यास किया गया. अब तक 4 बार डमी फांसी दी जा चुकी है.

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उधर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तिहाड़ प्रशासन से पूछा कि फांसी की क्या तारीख सेशन कोर्ट ने तय की है. क्या कोई डेथ वारंट जारी हुआ है? तिहाड़ प्रसाशन अब बुधवार को इसका जवाब देगा. उधर, दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई. दया याचिका खारिज करने के खिलाफ कोर्ट में दायर याचिका में मुकेश ने डेथ वारंट को निरस्त करने की मांग की और इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच ने की. मुकेश ने अपने हलफनामे में यह भी दावा किया कि उसने रेप नहीं किया था, लेकिन वह घटना के दौरान वहां मौजूद था. साथ ही यह भी कहा कि उसके साथ यौन शोषण भी हुआ था.

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मुकेश की पुनर्विचार याचिका और आखिर में दया याचिका तीनों खारिज हो चुकी हैं. मुकेश के पास जो इकलौती लाइफ लाइन बची है वो है राष्ट्रपति भवन से खारिज दया याचिका को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की.

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