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निर्भया केस: दोषियों की फांसी को लेकर गृह मंत्रालय की याचिका पर SC में आज सुनवाई

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों को तीन मार्च सुबह छह बजे फांसी दी जाएगी. अतिरिक्त सेशन्स जज धर्मेंद्र राणा ने नया डेथ वारंट जारी किए जाने की मांग वाली याचिका पर यह आदेश दिया है. यह मामला दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी में 23 वर्षीय एक लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा हुआ है.

हाईकोर्ट से याचिका ठुकराए जाने के बाद SC पहुंची है केंद्र सरकार (निर्भया के परिजन की फाइल फोटो-ANI) हाईकोर्ट से याचिका ठुकराए जाने के बाद SC पहुंची है केंद्र सरकार (निर्भया के परिजन की फाइल फोटो-ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

  • अलग-अलग फांसी देने की याचिका दायर
  • जस्टिस भानुमति की बेंच करेगी सुनवाई

2012 निर्भया गैंगरेप केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की है कि निर्भया मामले के दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने का निर्देश दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच मंगलवार को सुनवाई करेगी. इस बेंच की अध्यक्षता जस्टिस आर. भानुमति करेंगी. जस्टिस भानुमति के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नवीन सिन्हा इस बेंच के सदस्य हैं. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका खारिज हो चुकी है जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

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बता दें, निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों को तीन मार्च सुबह छह बजे फांसी दी जाएगी. अतिरिक्त सेशन्स जज धर्मेंद्र राणा ने नया डेथ वारंट जारी किए जाने की मांग वाली याचिका पर यह आदेश दिया है. यह मामला दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी में 23 वर्षीय एक लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा हुआ है. कोर्ट के हालिया आदेश पर संतोष जाहिर करते हुए निर्भया की मां ने कहा, मैं संतुष्ट और खुश हूं. मुझे उम्मीद है कि दोषियों को आखिरकार तीन मार्च को फांसी दी जाएगी. यह मामला दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी में एक 23 साल की लड़की के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़ा है.

ये भी पढ़ें: क्या 3 मार्च को ही होगी निर्भया के दोषियों को फांसी? दोषी पवन पर सबकी नजर

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दिल्ली हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में चारों दोषियों को एकसाथ फांसी पर लटकाया जाए. इसके साथ ही अदालत ने दोषियों को कानूनी उपचार का लाभ उठाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने फैसले में कहा, डेथ वारंट का पालन एकसाथ होना चाहिए. इसलिए, मुकेश को अन्य दोषियों से अलग नहीं किया जा सकता. इसलिए मैं दोषियों को उनके कानूनी उपचार के लिए एक सप्ताह का समय देता हूं.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें एक नाबालिग भी शामिल था. इस मामले में नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया. जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था.

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