
सांप्रदायिकता के खिलाफ झंडा बुलंद कर बिहार चुनाव में अपनी जमीन पुख्ता करने वाले नीतीश कुमार को आखिरकार चुनावों के ऐलान से ठीक पहले मंदिरों की याद आ गई है. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने राज्य में एक बार फिर जातिगत राजनीति का कार्ड खेला है. राज्य कैबिनेट ने हाल ही दो अहम फैसले लेते हुए मंदिरों की बाउंड्री निर्माण के लिए फंड को स्वीकृति दी है, वहीं मल्लाह, निषाद और नोनिया जाति को अनुसूचित जन जाति में शामिल करने का निर्णय किया है.
राज्य कैबिनेट की शनिवार को हुई बैठक में इसे मंजूरी दी गई. मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चांई, तियर, खुलवट, सुरिहया, गोढी, वनपर व केवट) और नोनिया जाति को इनके आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक व रोजगर में पिछड़ेपन को देखते हुए बिहार की अनुसूचित जन जाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया.
मंदिरों की सुरक्षा के बाबत फैसला
कैबिनेट सचिव शिशिर सिन्हा ने सरकार के फैसले की पुष्टि की है. एक वरिष्ठ जेडीयू नेता ने सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'इससे पहले मस्जिदों के चारों को बाड़ निर्माण के लिए फंड जारी कर नीतीश सरकार ने मुसलमानों को संदेश दिया, वहीं अब मंदिरों के लिए ऐसा ही फंड जारी कर सरकार बहुसंख्यक हिंदुओं तक संदेश पहुंचाना चाहती है.'
हालांकि नेताजी ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से यह फैसला काफी पहले लिया जाना चाहिए था. क्योंकि मंदिरों की जमीन को लेकर विवाद का निपटारा होने से समाज में सही संदेश भेजा जाता. सरकार का मत है कि ऐसा मंदिरों की सुरक्षा के बाबत किया गया है. बहुमूल्य धातू या मूर्ति की सुरक्षा के लिए राज्य के सभी डीएम को ऐसे मंदिरों को चिन्हित करने का अधिकार दिया गया है. डीएम की रिपोर्ट पर भवन निर्माण विभाग चारदीवारी कराएगा.
एक करोड़ से अधिक की आबादी को लाभ
नीतीश कैबिनेट के दूसरे फैसले को प्रदेश में जातिगत समीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है. यह दिलचस्प है कि जहां बीते शुक्रवार को राजधानी में निषाद जाति को अनुसूचित जन जाति में शामिल किए जाने की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठियां भांजी, वहीं सरकार ने अगले ही दिन इसे अपनी कैबिनेट बैठक में पास कर दिया. सरकार के इस फैसले से तकरीबन एक करोड़ से अधिक की आबादी को अनुसूचित जन जाति को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिलेगा.
एक लंबे अरसे से निषाद, मल्लाह और नोनिया जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग उठ रही थी. इसके पहले सरकार ने लोहार जाति को अनुसूचित जाति में और तेली, तमोली और चौरसिया जाति को अति पिछड़ी जाति में शामिल करने की मंजूरी दी.
'निषादों की रिझाने की चाल'
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने सरकार के इस कदम को साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा, 'यह और कुछ नहीं बल्कि निषादों को रिझाने की साजिश है. उन्हें बीते 10 वर्षों से कोई लाभ नहीं दिया गया. नीतीश सरकार निषादों को दलित जाति में कैसे जोड़ सकती है, जबकि यह एक संवैधानिक तरीका है और ऐसा केंद्र द्वारा संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है.'
बीजेपी के नेता और मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निषाद का आरोप है कि नीतीश कुमार की सरकार निषाद समुदाय को राजनीति के खेल में फुटबॉल की तरह इस्तेमाल कर रही है.