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Uber जैसे ऐप्स से बैंकिंग डीटेल्स चोरी कर रहा है ये मैलवेयर

सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इस ट्रोजन का यूजर इंटरफेस बिल्कुल ऐसा ही है जैसे दूसरे ऐप्स में दिए गए होते हैं, इसलिए कस्टमर्स चकमा खा सकते हैं.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

आमतौर पर हैकर्स और साइबर अपराधी बैंकिंग ऐप के जरिए आपके डेबिट क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुराते हैं. लेकिन अब हैकर्स न बैकिंग ऐप के अलावा दूसरे ऐप्स को टार्गेट कर रहे हैं जिनमें आपकी बैकिंग से जुड़ी जानकारियां दर्ज की जाती है.

इस बैंकिंग ट्रोजन मे हाल ही में रैन्समवेयर ऐड किया गया है जो जानकारियां चुरा कर यूजर फाइल्स को लॉक कर दिया जाता है. रिपोर्ट्स के यह ट्रोजन Uber और दूसरे ऐप्स की जानकारियां चुरा सकता है. इन ऐप्स में कस्टमर्स रिचार्ज के लिए कार्ड की डिटेल्स सेव करते हैं.

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साइबर सिक्योरिटी फर्म Kaspersky Lab के सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने Faketoken नाम के इस बैंकिंग ट्रोजन को ढूंढा है जो मुख्य रूप से एंड्रॉयड मैं फैलता है. यह नॉन बैंकिंग ऐप में दर्ज की गई बैंकिंग की जानकारियां चोरी करता है. इमें डेबिट क्रेडिट कार्ड के डीटेल्स से लेकर दूसरी जानकारियां शामिल हैं. फेक टोकेन नाम का यह बैंकिंग ट्रोजन ऐप्लिकेशन को ट्रैक कर सकता है. फिशिंग के जरिए यह ऐप में बैंकिंग से जुड़ी जानकारियां अपने पास दर्ज करता है.

सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इस ट्रोजन का यूजर इंटरफेस बिल्कुल ऐसा ही है जैसे दूसरे ऐप्स में दिए गए होते हैं, इसलिए कस्टमर्स चकमा खा सकते हैं.

इस मैलवेयर की सबसे खतरनाक बात ये है कि डाउनलोड होने के बाद यह फोन से की गई बातचीत सुन सकता है. एक बार डाउनलोड होने के बाद आपके स्मार्टफोन की जानकारियां हैकर्स तक पहुंचाता है.

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ऐसे खतरों से बचने के लिए आपको अपने स्मार्टफोन को सावधानी से यूज करने की जरूरत है. अगर आपने अपने स्मार्टफोन किसी थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं तो यह सुनिश्चित करें की वो आपकी कितनी जानकारियां ले रहा है. इसके अलावा आप किसी भी ऐसे पब्लिशर्स का ऐप डाउनलोड न करें जो वेरिफाइड नहीं हैं. क्योंकि ज्यादातर मैलवेयर बिना वेरिफाइड ऐप्स से ही आते हैं.

एंड्रॉयड बैंकिंग ट्रोजन से बचने के लिए अपने स्मार्टफोन की सिक्योरिटी सेटिंग्स में जा कर Unknown Sources ऑप्शन को ऑफ कर दें. मोबाइल में प्रीमियम एंटी वायरस का यूज करें तो आप सेफ रहेंगे, क्योंकि फ्री वाले एंटी वायरस कई बार खुद ही मैलवेयर का काम करते हैं.

 

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