
संसदीय समिति प्राक्कलन समिति ने बैकों के बढ़ते कर्ज के मुद्दे पर ब्रीफिंग के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा देने वाले अरविंद सुब्रमण्यम के साथ-साथ ईडी और सीबीआई के अधिकारियों को बुलाया और वर्तमान हालात के बारे में जानकारी ली.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली प्राक्कलन समिति ने मंगलवार को बैकों के बढ़ते एनपीए मुद्दे पर चर्चा के लिए वित्त सचिव हंसमुख आदिया और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर समेत वित्त मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था.
जीडीपी और मेरी उम्र एक बराबरः जोशी
सूत्रों ने बताया कि 30 सदस्यीय समिति के सदस्यों ने बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ते एनपीए और एनपीए के कारण उत्पन होने वाले संकट पर कई सवाल उठाए.
संसद की एस्टिमट समिति में 29 साल बाद किसी वित्त सचिव को सम्मन किया गया है. मंगलवार को जब बैंक लोन में बढ़ते एनपीए पर जानकारी देते हुए वित्त सचिव हंसमुख अडिया ने एक रेफ्रेंस में जीडीपी का जिक्र किया तो मुरली मनहोर जोशी ने कहा, 'मेरा जन्म 5 जनवरी, 1934 में और जीडीपी का जन्म 4 जनवरी, 1934 को हुआ था इसलिए मैं जीडीपी को जन्म से फॉलो कर रहा हूं. इसलिए मुझे जीडीपी के बारे मत बताइए.'
चार घंटे तक चली समिति की बैठक में समिति के सदस्यों ने उन बैंकों के बोर्ड मीटिंग्स के मिनट्स और दस्तावेज मांगें जिनमें बड़े बैंक कर्ज को मंजूरी दी गई थी. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम आज इस प्रकरण से जुड़ी सभी जानकारी समिति के सामने पेश करेंगे.
तो कैसे बनेगा आम लोगों का विश्वास
ईडी निदेशक करनैल सिंह और सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को इसलिए बुलाया गया हैं कि वो आने वाले दिनों में समिति को जानकारी देंगे कि बैंकों के द्वारा दिए वो लोन जो एनपीए हो चुके हैं और बैंकिंग बोर्ड में जिन अधिकारियों के खिलाफ शिकायत आई है, उनकी जांच किस स्तर पर की जा रही है.दिसंबर, 2017 कर्ज की समस्या से जूझ रहे बैंकिंग सेक्टर का एनपीए करीब 9 लाख करोड़ तक पहुंच गया हैं जिसमें सरकारी बैंकों का एनपीए 7.77 लाख करोड़ रुपए है. सवाल यह हैं अगर इतनी बड़ी रकम को बैंकिंग सेक्टर में एनपीए घोषित किया जा चुका हैं तो ऐसे में सरकारी बैंकिंग सेक्टर पर आम जनता का भरोसा कैसे रहेगा.