
राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव में हार के बाद एनएसयूआई अध्यक्ष अमृता धवन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था. नए अध्यक्ष के लिए मुकुल वासनिक के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन कर दिया. कमेटी ने राहुल के निर्देश पर बाक़ायदा कॉर्पोरेट स्टाइल में एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें एक खास नियम था कि, अध्यक्ष वही बनेगा जो कम से कम एक साल एनएसयूआई में सक्रिय रहा हो.
सूत्रों के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया के बाद कमेटी ने जो सात नाम फाइनल किये, उसमें मध्य प्रदेश के मनीष शर्मा का नाम था और बाद में कमेटी ने राहुल गांधी को मनीष शर्मा को ही अध्यक्ष बनाने की सिफारिश कर दी, लेकिन राहुल गांधी तक शिकायत पहुंच गई कि उनके ही सिस्टम में सेंध लगाकर ये नियुक्ति हो रही है. आखिर मनीष शर्मा जवाहर भवन में तनख्वाह पर काम करते रहे, वो कभी एनएसयूआई में सक्रिय नहीं रहे. हां, वो मध्य प्रदेश की पूर्व सांसद और राहुल की करीबी मीनाक्षी नटराजन के करीबी रहे हैं, उन्हीं के साथ वो जवाहर भवन में काम करते रहे.
ऐसे में शिकायत मिलने पर राहुल ने मनीष शर्मा की घोषणा पर रोक लगा दी और जांच बैठा दी. इसकी पुष्टि भी राहुल के करीबी नेताओं ने की. सूत्रों के मुताबिक, बाद में राहुल ने माना कि, सिस्टम में गलती हुई है उसको सुधारा जाए और मनीष की जगह किसी दूसरे को अध्यक्ष बनाया जाए.
घाटी के युवाओं को सकारात्मक संकेत देने की कोशिश
इस पूरे मसले के बाद ही अब राहुल के वीटो पर कांग्रेस ने फ़ैरोज़ खान को एनएसयूआई का नया अध्यक्ष बनाया है. कश्मीर से आने वाले खान को खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने साक्षात्कार के बाद चुना है. कश्मीर के मौजूदा हालात के बीच कांग्रेस ने
खान को स्टूडेंट विंग का अध्यक्ष बना कर घाटी के युवाओं को सकारात्मक संकेत देने की कोशिश की है. 28 साल के खान एनएसयूआई में राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं. बाद में उन्हें यूपी सहित कई राज्यों का एनएसयूआई का प्रभारी महासचिव भी बनाया गया.
कानून और मानवाधिकार की पढ़ाई करने वाले खान ने अपने राजनीतिक करियर में सूचना के अधिकार के लिए भी लड़ाई लड़ी है.
आपको बता दें कि राजनीति में आने के बाद से ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार कांग्रेस में लोकतंत्र की वकालत करते आए हैं. यूथ कांग्रेस में राहुल ने ही चुनाव की परंपरा शुरू की. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार तय करने के लिए 15 सीटों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनाव कराए. सूत्रों के मुताबिक, खुद राहुल भी चुनाव लड़कर ही कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहते हैं, लेकिन अमृता धवन के इस्तीफे के बाद खाली हुए एनएसयूआई अध्यक्ष पद के लिए राहुल के बनाये नियम-कायदे की धज्जियां उड़ा दी गईं, जिसकी शिकायत राहुल गांधी के दरबार में पहुंची थी.