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अगले लोकसभा चुनाव आयोजन में होंगी ये चार बड़ी चुनौतियां

'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर बहस जारी है. विशेषज्ञ इसके फायदे और नुक्सान गिनाने में लगे हैं. इस बीच साल 2019 में होने वाले आगामी चुनाव का आंकलन भी आंकड़ों के मद्देनजर होना चाहिए.

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संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
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  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

'एक राष्ट्र, एक चुनाव ' को लेकर लगातार बहस जारी है. विशेषज्ञ इसके फायदे और नुक्सान गिनाने में लगे हैं. इस बीच साल 2019 में होने वाले आगामी चुनाव का आंकलन भी आंकड़ों के मद्देनजर होना चाहिए. भारतीय आम चुनाव धरती पर ईवेंट मैनेजमेंट का सबसे बड़ा और असाधारण आयोजन हैं.

लोकसभा की 543 सीटों पर लगभग एक ही समय चुनाव कराना, जिसमें 9.30 लाख मतदान केंद्रों का प्रबंधन करना होता है, जहां 90 करोड़ वोटर आते हैं. इसे दुनिया में सबसे भरोसेमंद चुनाव माना जाता है. भारत में किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा मतदाता हैं.

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साथ ही चुनाव निश्चित रूप से संसाधनों के अधिकतम उपयोग की संभावनाएं खोलेंगे लेकिन जहां कुछ की जरूरतों में जबरदस्त इजाफा (संभवतः दुगना या उससे ज्यादा) होगा, वहीं कुछ में आनुपातिक रूप से उतना इजाफा नहीं होगा.

फिलहाल 2019 की चुनौतियां इस प्रकार हैः

-90 करोड़ होगी मतदाताओं की अनुमानित संख्या जो 2019 में वोट डालेंगे

-16 लाख वीवीपैट (वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) स्लिप का इस्तेमाल होगा

-मतदान केंद्रों की संख्या 9,30,000 है.

-01 करोड़ सरकारी मुलाजिमों की जरूरत होगी जो बतौर चुनाव अधिकारी चुनाव का सुपरविजन करेंगे

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