
एक देश, एक चुनाव पर देश में लंबी राजनीतिक बहस जारी है. इसके नफे-नुकसान और व्यहारिकता को लेकर भी चर्चा जारी है. ऐसे में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने एक देश, एक चुनाव की पैरवी करते हुए कहा है कि यह एक 'डिजायरेबल गोल' है जो आयोग पूरा कर सकता है. लेकिन इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है.
हिंदी जगत का महामंच 'एजेंडा आजतक' के दूसरे दिन 'चुनाव का चैलेंज' शीर्षक वाले सत्र में शामिल हुए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि एक देश, एक चुनाव पर काफी समय से चर्चा चल रही है. कई लोगो ने इस मुद्दे पर लिखा है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यह एक 'डिजायरेबल गोल' है.
अरोड़ा ने कहा कि 1967 के बाद से देश में लोकसभा और विधानसभा के अलग अलग चुनाव होने शुरू हुएं. उन्होंने तारीख के आधार पर आने वाले विधानसभा चुनावों के बारे बताते हुए कहा कि जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच सामंजस्य नहीं है. ऐसे में इसके लिए सरकार की तरफ से संविधान में संशोधन करने की जरूरत है.
सुनील अरोड़ा ने कहा कि एक देश, एक चुनाव कराने में चुनाव आयोग को अतिरिक्त संसाधन लगाने पड़ेंगें लेकिन आयोग यह काम कर लेगा. यह भले ही आगामी लोकसभा में संभव न हो लेकिन इसके बाद के चुनाव में किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए कानूनी प्रक्रिया की जरूरत है जिसका अधिकार संसद के पास है.
गौरतलब है कि हाल में देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर विधि आयोग ने सरकार को अपनी मसौदा रिपोर्ट में एक साथ कराने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए संविधान में संशोधन करने की सलाह दी थी. इस मसौदा रिपोर्ट में विधि आयोग ने कहा था कि आयोग इस तथ्य से अवगत है कि संविधान के मौजूदा प्रावधानों में एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है. लिहाजा आयोग की सलाह है कि, सरकार इसके लिए निश्चित संवैधानिक संशोधन करे.