
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 26 मई 2014 को देश की सत्ता पर काबिज हुए. कांग्रेस के दस साल लंबे शासन से त्रस्त वोटरों ने मोदी को विशाल बहुमत देकर देश में बदलाव के लिए सत्ता सौंपी.
जहां पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पूरे दशक के दौरान आरोप लगते रहे कि सरकार नीतिगत फैसलों को लेने में सक्षम नहीं थी और केन्द्र सरकार में पॉलिसी पैरालिसिस से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है. लिहाजा, नरेन्द्र मोदी से देश ने उम्मीद बांधी कि सरकार की कमान संभालने के बाद देश में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बड़े आर्थिक फैसले जल्द से जल्द लिए जाएंगे जिससे वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों से लड़ने के लिए देश की अर्थव्यवस्था का मूलभूत ढांचा मजबूत हो सके. मोदी सरकार के एक साल 26 मई 2015 को पूरे हो गए, लिहाजा इन 365 दिनों के दौरान देश के प्रमुख आर्थिक मापदंडों का सफर कैसा रहा, जानिए इन बिंदुओं से:
जीडीपी के आंकड़े इस दौरान मजबूत हुए हैं. वित्त वर्ष 2013-14 में विकास दर 4.5 फीसदी के मुकाबले 2014-15 में 6.9 फीसदी रही. हालांकि आंकड़ों में यह उछाल सीएसओ द्वारा बेस ईयर में परिवर्तन के चलते मिले.
महंगाई:पिछले साल अप्रैल के मुकाबले महंगाई के आंकड़ों में भी गिरावट दर्ज हुई है. जहां थोक महंगाई गिरकर शून्य स्तर के नीचे चली गई है वहीं पिछले एक साल के दौरान कंज्यूमर महंगाई भी आरबीआई के 6 फीसदी लक्ष्य के अंदर 5.17 पर बनी है.शेयर बाजार : सेंसेक्स ने इस साल की शुरुआत नई सरकार से बढ़ी उम्मीदों के सेंटीमेंट से की. लिहाजा, मोदी के लहर में सेंसेक्स पर 26 मई को 24,700 के स्तर पर रैली शुरू हुई और मार्च 2015 तक 30,000 के स्तर को पार कर गया. हालांकि, साल के आखिरी दो महीनों में बाजार का भरोसा थोड़ा कमजोर होते हुए सेंसेक्स वापस मई में वापस 27,000 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. नतीजतन, एक साल में सेंसेक्स लगभग 2500 अंक ऊपर स्थित है. वहीं वित्त वर्ष से वित्त वर्ष में देखें दो कांग्रेस के आखिरी साल (वित्त वर्ष) में सेंसेक्स ने 18 फीसदी से अधिक की ग्रोथ दर्ज की थी वहीं मोदी के पहले साल (वित्त वर्ष) के दौरान लगभग 25 फीसदी की ग्रोथ मिली.
रुपया बनाम डॉलर में इस साल के शुरुआत में रुपए ने मजबूती के साथ कारोबार किया लेकिन चालू तिमाही में डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रुपया एक बार फिर डॉलर के मुकाबले कमजोरी के रुझान पर है. हालांकि, वित्त वर्ष 2014 में डॉलर के मुकाबले रुपए में 9.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी. वहीं, 2015 वित्त वर्ष में यह गिरावट महज 4.2 फीसदी की रही.
इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) फैक्ट्री ग्रोथ का आंकलन करता है और मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान इन आंकड़ों से केन्द्र सरकार को निराशा हांथ लगी है. जहां, पिछले साल मई 2014 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 5.6 फीसदी थी वहीं मार्च 2015 तक यह फिसलकर 2.1 फीसदी पर पहुंच गई. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए भी यह साल मायूसी भरा रहा. मई 2014 में मैन्यूफैक्चरिंग IIP 5.9 फीसदी से लुढ़ककर 2.2 फीसदी पर पहुंच गया.
इनके अलावा वित्त वर्ष 2013-14 और 2014-15 के कुछ अन्य आंकड़ों पर नजर डालें:
साल 2014 (कांग्रेस) |
आर्थिक आंकड़े |
साल 2015 (बीजेपी) |
6.9 फीसदी |
जीडीपी विकास दर |
7.4 फीसदी |
8.33 फीसदी |
उपभोक्ता महंगाई दर |
4.87 फीसदी |
+ 19 फीसदी |
सेंसेक्स |
+25 फीसदी |
- 9.4 फीसदी |
रुपया बनाम डॉलर |
- 4.2 फीसदी |
0.1 फीसदी |
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन Advertisement |
2.8 फीसदी |
4.4 फीसदी |
राजकोषीय घाटा |
4.0 फीसदी |
$ 20.77 बिलियन |
विदेशी निवेश |
$ 28.76 बिलियन |