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महंगे प्याज पर शरद पवार ने केंद्र पर साधा निशाना, कहा- इंपोर्ट का फैसला गलत

पवार ने कहा कि प्याज का उत्पादन करने वाला किसान काफी गरीब होता है. आज उसे पैसे मिल रहे हैं तो आप प्याज इंपोर्ट करोगे. यहां के मार्केट रेट नीचे लाओगे. वहीं जब उस किसान को दो पैसा ज्यादा मिलने का समय आया तो आप उसे खत्म करोगे.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार/पंकज खेळकर
  • पुणे ,
  • 25 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:20 AM IST

प्याज के बढ़ते दाम पर एनसीपी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. पवार के अनुसार केंद्र को प्याज इंपोर्ट करने का फैसला नहीं लेना चाहिए था.

पवार ने कहा कि प्याज का उत्पादन करने वाला किसान काफी गरीब होता है. आज उसे पैसे मिल रहे हैं तो आप प्याज इंपोर्ट करोगे. यहां के मार्केट रेट नीचे लाओगे. वहीं जब उस किसान को दो पैसा ज्यादा मिलने का समय आया तो आप उसे खत्म करोगे. यह मुझे उचि‍त नहीं लग रहा है. प्याज इंपोर्ट करने के बजाय यहां अगर दाम बढ़ गए है तो उसे सब्सिडी दो. सरकार दुकान में प्याज उपलब्ध कराए. सरकार को नुकसान उठाना चाहिए. उस छोटे किसान का क्यों नुकसान कर रहे हो.

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महाराष्ट्र के सब्जी मंडियों में प्याज के भाव बढ़े हुए हैं. 27 रु किलो का ठोक भाव डेढ माह पहले था. उसी समय व्यापारियों ने अन्दाजा लगाया था कि आने वाले दो माह में प्याज के भाव बढ़ेंगे. इसकी वजह बताई गयी. बारिश का महीना खत्म होने बाद भी 20 दिनों तक मुसलाधार बारिश होती रही. जिस वजह से  फसल बर्बाद हो गयी और रब्बी की प्याज की फसल का स्टॉक कम होने से बाजार में प्याज कम आने लगे. नतीजा भाव बढने लगे. किसान के चेहेरे पर मुस्कुराहट आयी थी, लेकिन कुछ दिनों से बाजार में दुसरे देशों का प्याज आना शुरू हो गया है. ये है मिस्र देश से आया हुआ प्याज है. किसानों ने आरोप लगाया है कि यह प्याज आकार में बड़ा, लेकिन स्वाद में फीका है.

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वहीं समाज सेवी अन्ना हजारे भी किसानो के पक्ष में बोले. अन्ना ने पुणे के MIT यूनिवर्सिटी द्वारा शुरू किये जा रहे संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम लेक्चर सीरीज के शुभारंभ समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसानों के लागत के अनुसार उनके फसल के दाम तय हो. इसके लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. अन्ना हजारे ने फिर एक बार बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों के फसल को दाम नहीं मिलते, इसलिए किसान आत्महत्या करते हैं. अन्ना ने बताया कि 22 साल में 12 लाख किसानों ने आत्महत्या की है. अन्ना ने बैंक द्वारा किसानों को चक्रवृद्धि ब्याज लगाने की तीखी आलोचना की.अन्ना ने कहा कि एक ओर बैंक उधोगपतियों को ब्याज से छूट देती है और किसानों से वसूल करने के लिए हर संभव रास्ते से दबाव लाती है. इस वजह से किसान आत्महत्या करते हैं.  वास्तव में उच्च अदालत ने इसपर रोक लगाई है, लेकिन बैंक नहीं मानते तो रिज़र्व बैंक को हस्तक्षेप करना चाहिए.

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