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PAK से हार और कुंबले के इस्तीफे से दुखी एक फैन का खुला खत- विराट भाई, आप तो ऐसे न थे

चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान से मिली करारी हार से हर कोई परेशान है और दुखी भी. हम तो फैन हैं जनाब, हमसे ज्यादा दर्द तो आपको होगा. पर जैसा प्रदर्शन टीम ने किया, वैसा तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था.

विराट कोहली को खुला खत विराट कोहली को खुला खत
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

डियर विराट भाई,

चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान से मिली करारी हार से हर कोई परेशान है और दुखी भी. हम तो फैन हैं जनाब, हमसे ज्यादा दर्द तो आपको होगा. पर जैसा प्रदर्शन टीम ने किया, वैसा तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. मतलब की 180 रन से हार, कैसे पचेगी सर? इस टीम ने हमेशा लड़ाई लड़ी है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ टीम ने दिल तोड़ दिया. पूरे देश को सबसे ज्यादा उम्मीद थी कप्तान विराट कोहली से, पर...हम हार गए.

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सर, आपके लिए ये एक नॉर्मल कैसे हो सकता है. वो भी उस देश में जो पाकिस्तान से हार बर्दाश्त नहीं कर सकता. दुख इस बात का नहीं है कि हम हारे, पर दुख इस बात का है कि टीम में वो स्पार्क नहीं दिखा जो पाकिस्तान के खिलाफ हुआ करता है. आपको पता है? पाकिस्तान के खिलाफ वो भी मैच देखता है जो क्रिकेट से नफरत करता हो.

करारी हार के बाद टीम इंडिया ने शानदार खेल भावना, ICC ने भी किया सलाम

सर वो गुस्सा कहां है? जो आप ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर के खिलाफ दिखाते हैं. मानते हैं कि आप प्रोफेशनल क्रिकेटर हैं पर हम तो दिल लगाने वाले फैन. ऑस्ट्रेलियाई से हार तो चल भी सकती है, पर पाकिस्तान से कैसे?

मैं विराट कोहली को कहना चाहूंगा कि पिछले काफी वर्षों से हमने आपको एक आक्रामक खिलाड़ी के तौर पर देखा है, जो कि जीत के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वह आखिरी गेंद तक कभी हार नहीं मानता है, मुझे 2016 के टी-20 विश्वकप के बाद कोहली के वो आंसू याद हैं. लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में वो जज्बा, वो लड़ाई कहां थी.

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सबसे पहला झटका तो तब लगा कि आपने टॉस जीतने के बाद भी जब गेंदबाजी, आप जानतें हैं कि किसी टूर्नामेंट के फाइनल में पूरी टीम पर दबाव होता है. सबसे अच्छा मौका था कि अपनी टीम पहले बल्लेबाजी करती, बड़ा स्कोर खड़ा करती और आराम से पाकिस्तान टीम पर दबाव आ सकता था. आपके फैसले का गलत असर भी दिखा, पाकिस्तान ने आते ही हम पर हमला बोल दिया और हम संभल भी नहीं पाए. जब बारी बल्लेबाजी की आई तो सभी फेल हो गए.

जब पूरी टीम फेल हुई, तो ये दो खिलाड़ी शान से खड़े थे!

अगर, आपकी बल्लेबाजी की बात करें तो आप इंग्लैंड में पहले भी फेल हुए थे. पर आपको बड़े लक्ष्य का पीछा करने में महारथ हासिल है. मुझे और पूरे देश को उम्मीद थी कि आप वहां पर टिकेंगे, और चेज़ करेंगे. लेकिन आपने आमिर की बाहर जाती गेंद को टच कर गलती की लेकिन आप ड्रॉप हुए. मेरी जान में जान आई पर अगली ही गेंद पर आउट हो गए और सारी उम्मीद भी टूट गई.

पाकिस्तान जब बल्लेबाजी कर रहा था, तब आपके हर फैसले पर मेरी नज़र थी. मुझे लग रहा था कि कोई बात नहीं अब कोहली ऐसा फैसला लेगा कि सब ठीक हो जाएगा. पर नहीं, आपने बार-बार गलती की. बुमराह को रन पड़ रहे थे, पर आपने फिर भी उनसे गेंदबाजी करवाई. अश्विन चोटिल थे फिर भी आपने खिलाया, अरे वो तो छोड़िए जब आपको दिख रहा था कि वह रन दे रहे हैं, पिट रहे हैं, तो क्यों उनसे 10 ओवर करवाए.

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बांग्लादेश के खिलाफ जब धोनी के कहने पर केदार जाधव को बॉल डलवाई थी, तो विकेट मिले थे. पर इस बार क्या हुआ था जाधव को गेंद भी दी तो 40वें ओवर के बाद. जिसका कुछ फायदा नहीं हो सका.

...इस टीम के साथ तो वर्ल्ड कप जीतने से रहे विराट कोहली?

अरे, चलिए छोड़िए. हम हार गए तो कोई बात नहीं लेकिन आप तो हंस रहे थे, बधाई दे रहे थे. शोएब मलिक के साथ हंसी-मजाक कर रहे थे. मुझे पता है कि ये तो खेल भावना है कि हार-जीत हो जाएगी. पर ये तो देखते कि पाकिस्तान से हारने के बाद अगर कोई क्रिकेट फैन ये देखेगा तो उसपर क्या बीतेगी.

पर आप यहां भी कहां रुके, प्रेस कांफ्रेंस में तो आपने कह दिया कि पाकिस्तान को इस जीत की जरूरत थी. इसका क्या मतलब था कि हम लोग पाकिस्तान को जीत दिलवाने के लिए बैठे हैं, उनकी जीत या हार से हमें क्या मतलब. नहीं, कोहली सर, आपके इस व्यवहार से अच्छा नहीं लगा.

देखिए विराट कोहली, मैं कोई क्रिकेटर नहीं हूं और मुझे पता है कि क्रिकेट में हार-जीत होती रहती है. लेकिन जब आपकी टीम आपके भरोसे पर खरी ना उतरे तो दर्द होता है. मुझे भी हुआ, मैच और टूर्नामेंट के दौरान बहुत गलती ऐसी हुई जिसने तकलीफ पहुंचाई. मैं गिनवाता हूं आपको...मौका लगे तो पढ़ लीजिए.

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PAK के खिलाफ टीम इंडिया की इस हार ने 2003 विश्वकप फाइनल की याद दिला दी...

कहां चूक गए विराट कोहली

1. बड़े मैच का दवाब नहीं झेल पाए कप्तान, टॉस जीतकर गेंदबाजी करना पड़ा महंगा

2. फाइनल में बुमराह को लगातार दिए ओवर, जबकि वे रन खर्च कर रहे थे

3. फाइनल से पहले अश्विन चोटिल थे, फिर भी उन्हें खिलाया गया. अश्विन फाइनल में काफी महंगे पड़े थे.

4. उमेश यादव को सेमी-फाइनल और फाइनल में बाहर बैठाया गया

5. आमिर की बाहर जाती गेंद को छेड़ा और ड्रॉप हुए, लेकिन उसकी अगली ही गेंद पर दोबारा आउट हुए.

6. लगातार दबाव के बाद भी युवराज सिंह को गेंद नहीं दी गई, जबकि वह ऐसे समय में काफी सफल रहे हैं.

7. मोहम्मद शमी को पूरे टूर्नामेंट में बाहर बैठाया गया.

8. पाकिस्तान के खिलाफ नहीं दिख पाया कोहली का आक्रामक अंदाज

हार छोड़िये, आपने तो देश के सबसे महान स्पिनर अनिल कुंबले पर ही सवाल उठा दिए. अनिल कुंबले की गलती ही क्या थी, कि वो सभी प्लेयर्स को ज्यादा प्रैक्टिस करने को कहते थे. वो उन्हें किसी और कोच की तरह घूमने या ज्यादा शॉपिंग करने से टोकते थे. बस इतनी सी बात को लेकर आपने कुंबले जैसे खिलाड़ी को विलेन बना दिया. सर, आप भूल गए हैं कि पिछले 1 साल में आप जितने भी मैच जीते हैं, उसमें कुंबले सर का भी उतना ही योगदान था जितना आपका. कोच के नाते ही नहीं बल्कि एक सीनियर प्लेयर होने के नाते ही आप कुंबले का सम्मान करते. इस्तीफा देने के बाद कुंबले ने जो लिखा उससे साफ है कि उन्हें टीम में सम्मान नहीं मिला था.

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स्टारडम नहीं कप्तानी सीखें विराट कोहली, तब मिलेगा फायदा

फिर भी मुझे आप पर और हमारी पूरी टीम पर पूरा भरोसा है, मेरे साथ-साथ इस देश को भी आप पर पूरा भरोसा है. मैं बस यही कहना चाहता हूं कि आप अपनी कप्तानी को घमंड के तौर पर नहीं लेंगे, मैं बस यही चाहूंगा कि हमारी भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन ही करे.

सप्रेम,
एक छोटा-सा क्रिकेट फैन

(यह विचार लेखक के अपने विचार हैं.)

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