
इशरत जहां एनकाउंटर केस में एक और बड़ा बयान सामने आया है. केस के समय इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के स्पेशल डायरेक्टर (वेस्ट जोन) रहे सुधीर कुमार ने इंडिया टुडे से कहा कि इशरत जहां के लश्कर ए तैयबा से लिंक का आईबी इनपुट सही था. इस इनपुट को तब गुजरात सरकार को भेजा गया था. इसके पहले दो पूर्व गृह सचिव ने भी इस केस पर राजनीतिक दबाव और तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम के सीधे दखल की बात कही.
राजनीति की वजह से आतंक से संघर्ष पर असर
कुमार ने कहा कि कमांड के बी चेन और सरकार को इशरत के लश्कर ए तैयबा लिंक के बारे में चौकन्ना कर दिया गया था. उस दौरान मामले की राजनीति प्रेरित जांच से मैदान में डटे आईबी अफसरों के मनोबल पर असर पड़ा था. उन्होंने कहा कि आईबी की टॉप लीडरशिप और सरकार की वजह से आतंक विरोधी मुहिम को नीचा देखना पड़ा. आतंकवाद पर राजनीति की वजह से आतंक से लड़ने वाली मशीनरी कमजोर होती है.
इशरत पर हेडली की पुष्टि की जरूरत नहीं
कुमार ने कहा कि हमें इशरत के लश्कर लिंक के बारे में हेडली की पुष्टि की कोई जरूरत नहीं थी. हम कई स्रोतों से इस बात को जान रहे थे. इशरत जहां और लश्कर के मॉड्यूल दोनों को गुजरात और महाराष्ट्र में मॉनिटर किया जा रहा था. आईबी के तत्कालीन ज्वाइंट डायरेक्टर राजेंद्र कुमार और दूसरे अफसरों ने इस केस में बेहतर काम किया था, लेकिन हमें गलत तरीके से निशाना बनाया गया.
एफिडेविट बदलकर बुरी तरह घिरे चिदंबरम
इशरत जहां मुठभेड़ केस में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के राजनीतिक बयानों के बाद पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई ने फिर हमला बोला है. पिल्लई ने कहा कि चिदंबरम ने गृहमंत्री रहने के दौरान इशरत केस में मुझे बायपास कर मन मुताबिक दोबारा एफिडेविट तैयार करवाया. फिर इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया.
चिदंबरम ने बोलकर लिखवाया दूसरा एफिडेविट
पिल्लई ने एक न्यूज चैनल पर कहा कि साल 2009 में चिदंबरम ने आईबी के मेरे जूनियर अधिकारियों को बुलवाकर एफिडेविट को पूरी तरह से दोबारा लिखवाया. अब वह खुद बोलकर इसे लिखवा रहे थे तो कोई भी कुछ नहीं बोल सका. पिल्लई ने कहा कि इन बातों के लिए चिदंबरम को गृह सचिव या आईबी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए.
खुलासे के बाद हमलावर हुई बीजेपी
इसके कुछ दिन पहले भी पिल्लई ने कहा था कि इशरत जहां एनकाउंटर केस के एफिडेविट को रजनीतिक कारणों से बदल दिया गया था. इसके बाद बीजेपी ने चिदंबरम पर गृहमंत्री रहते हुए कांग्रेस के मुताबिक एफिडेविट बदलने, नरेंद्र मोदी और गुजरात सरकार पर निशाना साधने, बीजेपी से राजनीतिक बदला लेने और राजनीकिर लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया था.
कांग्रेस के स्टैंड पर थे चिदंबरम
बीजेपी ने कहा था कि इशरत को बेगुनाह और गुजरात पुलिस को फर्जी एनकाउंटर का आरोपी घोषित करना कांग्रेस का स्टैंड था. चिदंबरम ने इसको सही साबित करने के लिए पद का दुरुपयोग किया और एफिडेविट में मनमुताबिक बदलाव किया.
पिल्लई को मिला आर के सिंह का साथ
इस बीच पिल्लई के बाद गृह सचिव बने आर को सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की कि इशरत जहां एनकाउंटर केस में एफिडेविट को बदला गया था. इसमें पहले दर्ज था कि एनकाउंटर में मारी गई इशरत और उसके तीन साथी लश्कर ए तैयबा से जुड़े आतंकी थे. बाद में यह तथ्य गायब हो गया. बीजेपी सांसद सिंह ने कहा कि आईबी के कहने के बावजूद यह बदलाव राजनीतिक वजहों से ही किए गए थे.
साइन करने वाले पर था सीबीआई का दबाव
इस बीच एक अंग्रेजी अखबार से गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी (आंतरिक सुरक्षा) कहा आरवीएस मणि ने कहा कि दूसरे एफिडेविट पर उससे जबरदस्ती साइन करवाए गए थे. इसके लिए उनपर सीबीआई की ओर से दबाव था. मणि ने 2013 में भी आरोप लगाया था कि एफिडेविट पर साइन करने के लिए उनपर सीबीआई का दबाव था.
2004 में हुआ था एशरत जहां एनकाउंटर
19 साल की इशरत जहां और उसके तीन साथियों को साल 2004 में अहमदाबाद के पास गुजरात पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार दिया था. पुलिस के मुताबिक कि ये सभी लश्कर ए तैयबा से जुड़े आतंकी थे. वे सभी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश पर अमल करने के लिए वहां आए थे.
चिदंबरम बोले- एफिडेविट बदलने में पिल्लई भी जिम्मेदार
चिदंबरम पर हमलावर हुए पिल्लई ने साफ-साफ कहा कि चिदंबरम को मान लेना चाहिए कि एफिटेविट को बदलने का फैसला सिर्फ उनका था. इसके लिए आईबी या गृह सचिव की कोई मंशा नहीं थी. सोमवार को चिदंबरम ने इसे कबूल तो किया था कि एफिडेविट में उन्होंने बदलाव किया था. उन्होंने कहा था कि उन्होंने सही बदलाव किए थे और इसमें पिल्लई की भी बराबर की भूमिका थी.
गृह मंत्रालय करेगा सभी फाइलों की दोबारा जांच
चिदंबरम ने अपनी सफाई में कहा था कि पहला एफिडेविट के स्पष्ट नहीं होने की वजह से दूसरा एफिडेविट देना पड़ा. उन्होंने पिल्लई के इस मामले से किनारा कर लेने पर गहरी निराशा भी जताई. इन खुलासों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इशरत जहां एनकाउंटर केस की सभी फाइलों की फिर से जांच करने का फैसला लिया है.