
अमेरिका की धमकी के बाद भी पाकिस्तान की हेकड़ी कम नहीं हो रही. आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने से नाराज अमेरिका ने इस्लामाबाद को की जाने वाली फंडिंग रोक दी है. ट्रंप के इस फैसले से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है. लेकिन पाकिस्तान ट्रंप की फटकार से सुधरने की बजाए उल्टा आंखें तरेर रहा है. पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि वे अपने खिलाफ उठाए गए किसी भी कदम को जवाब देगा.
देश के लोगों की उम्मीद के मुताबिक देंगे जवाब
पाकिस्तान की सेना ने घुड़की देते हुए कहा है कि उनका देश लोगों की आकांक्षा के मुताबिक अमेरिका के किसी भी कदम का जवाब देने के लिए तैयार है. गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह पाकिस्तान को करीब सवा 1600 करोड़ रुपये की सैन्य मदद पर रोक लगा रही है.
ट्रंप ने ट्वीट कर पाक को फटकारा था
अंतर-सेवा जन संपर्क (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई की स्थिति में पाकिस्तान के लोगों की आकांक्षा के मुताबिक जवाब दिया जाएगा. राष्ट्रपति ट्रंप ने एक जनवरी को ट्वीट किया था कि अमेरिका ने पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दी और उसने बदले में झूठ और फरेब के सिवाय कुछ नहीं दिया.
पाकिस्तान का पलटवार
ट्रंप के बयान पर कुछ ही घंटे बाद पाक के रक्षा मंत्रालय ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि उसे आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के युद्ध के समर्थन में उसके सभी कदमों के बदले 'अपशब्द और अविश्वास' के सिवाए कुछ नहीं मिला.
अमेरिका से बदले में अपशब्द और अविश्वास मिला
पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा था कि पाकिस्तान ने आतंकवाद निरोधी सहयोगी के तौर पर अमेरिका को जमीन और वायु संपर्क, सैन्य अड्डे एवं खुफिया सूचना सहयोग दिया, जिससे पिछले 16 सालों में अल-कायदा को खत्म करने में उन्हें मदद मिली. लेकिन उन्होंने अपशब्दों और अविश्वास के सिवाए हमें कुछ नहीं दिया. उन्होंने सीमा पार आतंकवादियों की पनाहगाहों की अनदेखी की जिन्होंने पाकिस्तानियों की हत्या की.
सैन्य क्षेत्र में 70 फीसदी फंड
आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद खुलकर पाकिस्तान की मदद की है. इस मदद में बजट का बड़ा हिस्सा सैन्य मदद के तौर पर दिया गया है या इस्तेमाल किया गया है. जबकि शिक्षा और दूसरे मदों में एक चौथाई फंड दिया गया. सेंटर फॉर ग्लोबल डवलवमेंट के मुताबकि, वित्तीय वर्ष 2002 से 2009 के बीच आर्थिकी से जुड़े मदों में सिर्फ 30 फीसदी फंड दिया गया है. 70 फीसदी मदद सैन्य क्षेत्र में दी गई है. वहीं 2010 से 2014 के बीच सैन्य मदद में थोड़ी कमी आई है और आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में कुल मदद का करीब 41 फीसदी दिया गया.