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EXCLUSIVE: पंजाब में 'खालिस्तान' को फिर से जिंदा करने की साजिश रच रहा PAK

पाकिस्तान पंजाब को अशांत करने की साजिश रच रहा है. वह नशीले पदार्थों के व्यापार के जरिए पंजाब में आतंकवाद को फिर से सक्रिय करने और खालिस्तान की मांग को पुनर्जीवित करने की साजिश रच रहा है.

खालिस्तान को लेकर साजिश रच रहा PAK( फाइल फोटो) खालिस्तान को लेकर साजिश रच रहा PAK( फाइल फोटो)
मंजीत नेगी/देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST

आतंकवादियों को शरण देने वाला पाकिस्तान अब पंजाब को अशांत करने की साजिश रच रहा है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तानी जासूस नशीले पदार्थों के व्यापार के जरिए पंजाब में आतंकवाद को फिर से सक्रिय करने और खालिस्तान की मांग को पुनर्जीवित करने पर ध्यान दे रहे हैं.

खुफिया एजेंसियों ने पंजाब के पास पाकिस्तान की तरफ कुछ इलाकों की पहचान की है जहां पर आईएसआई और आतंकी संगठन नशीले पदार्थ और हथियार के व्यापार को ऑपरेट कर रहे हैं.  

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सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब में कुछ स्थानों और राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के कुछ हिस्सों के खिलाफ काम करने के लिए आईएसआई द्वारा सक्रिय शिविरों की एक सूची प्रदान की है, जिसमें बड़ी सिख आबादी है.

उच्च खुफिया सूत्रों के मुताबिक आईएसआई पंजाब में दंगा उकसाने का प्रयास करने के लिए अपने सेल का भी उपयोग कर रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए भारत ने अमृतसर में अटारी और फ़िरोज़पुर में हुसैनीवाला बॉर्डर पर अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है, क्योंकि इन दोनों जगहों पर बीटिंग रिट्रीट होती है और प्रतिदिन भारी संख्या में लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं.

ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर खालिस्तान समर्थन के पोस्टर्स

पाकिस्तान किस तरह से खालिस्तान का समर्थन कर रहा है इसका एक और सबूत देखने को मिला, जब ननकाना साहिब गुरुद्वारा में खालिस्तान समर्थन के पोस्टर्स देखे गए, जिसमें रेफरेंडम 2020 लिखा देखा गया.

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बता दें कि पाकिस्तान में सिख धर्म गुरू गुरू नानक देव की 549वीं जयंती मनाने के लिए भारत सहित अन्य देशों से लोग ननकाना साहिब पहुंचे हैं. पाकिस्तान रेफरेंडम 2020 की आड़ में दूसरे देशों में रहने वाले सिखों को भड़काने की कोशिश कर रहा है.

भारतीय सिखों को मिला वीजा

गुरुद्वारा ननकाना साहिब की यात्रा करने के लिए 3,800 भारतीय सिखों को पाकिस्तान जाने के लिए पाक की ओर से वीजा जारी किया गया है. यह यात्रा इस साल 21 से 30 नवंबर के बीच होनी है. 1974 में दोनों देशों के बीच धार्मिक यात्रा के लिए एक-दूसरे के नागरिकों को आने-जाने की अनुमति देने पर सहमति बनी थी, जिसके बाद हर साल दोनों देशों के लोग धार्मिक यात्राओं पर आते हैं.

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