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अमेरिका ने कुख्यात आतंकी हाफिज सईद को दिया बड़ा झटका

9/11 के बाद हंगामा मचा तो उसने दुनिया को चकमा देने के लिए अपने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का नाम बदल दिया. नया नाम रखा जमात-उद-दावा. इसके बाद मुंबई में 26/11 हुआ, तो उसने फिर वही खेल खेला. अबकी जमात-उद-दावा का नाम बदल दिया और फिर एक नया नाम रखा तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल. फिर इस पर भी पाबंदी लग गई, तो एक नई राजनीतिक पार्टी खड़ी कर ली- मिल्ली मुस्लिम लीग. सपना था आम चुनाव जीतकर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना. मगर अब लश्कर के चीफ हाफिज़ सईद के चेहेरे से मुखौटा हट गया है, क्योंकि अब अमेरिका ने मिल्ली मुस्लिम लीग को भी विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर सईद को खुदा हाफिज कह दिया है.

हाफिज सईद को अमेरिका पहले ही ग्लोबल आतंकी घोषित कर चुका है हाफिज सईद को अमेरिका पहले ही ग्लोबल आतंकी घोषित कर चुका है
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST

9/11 के बाद हंगामा मचा तो उसने दुनिया को चकमा देने के लिए अपने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का नाम बदल दिया. नया नाम रखा जमात-उद-दावा. इसके बाद मुंबई में 26/11 हुआ, तो उसने फिर वही खेल खेला. अबकी जमात-उद-दावा का नाम बदल दिया और फिर एक नया नाम रखा तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल. फिर इस पर भी पाबंदी लग गई, तो एक नई राजनीतिक पार्टी खड़ी कर ली- मिल्ली मुस्लिम लीग. सपना था आम चुनाव जीतकर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना. मगर अब लश्कर के चीफ हाफिज़ सईद के चेहेरे से मुखौटा हट गया है, क्योंकि अब अमेरिका ने मिल्ली मुस्लिम लीग को भी विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर सईद को खुदा हाफिज कह दिया है.

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टूटा पीएम बनने का सपना

पहले अमेरिका पर 9/11 हमला. फिर लश्कर पर अमेरिका की पाबंदी. लश्कर बन गया जमात-उद-दावा. 26/11 को मुंबई पर हमला. फिर जमात-उद-दावा पर लगी पाबंदी. जमात-उद-दावा बना तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल. फिर तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल भी आतंकवादी संगठन घोषित. तब उसने बनाई राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग. अब मिल्ली मुस्लिम लीग भी विदेशी आतंकवदी संगठन घोषित. हाफ़िज़ सईद को लगा सबसे बड़ा झटका. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने का सपना चूर.

एमएमएल विदेशी आतंकी संगठन घोषित

कभी चेहरा. कभी ठिकाना तो कभी नाम बदल कर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का हाफिज सईद का अपना आजमाया पुराना फरेब एक बार फिर नाकाम हो गया. अमेरिका ने हाफिज सईद की राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग यानी एमएमएल को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. यानी इसका मतलब ये हुआ कि पाकिस्तान की सिय़ासत में अपने पैर जमाने की कोशिश में जुटे हाफिज सईद ने जिस राजनीतिक पार्टी का गठन किया था, वह अब अमेरिका के आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल हो गई है.

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अमेरिका ने जारी की आतंकी संगठनों की नई सूची

अमेरिका के राज्य विभाग ने मंगलवार को आंतकी संगठनों की सूची जारी की. जिसमें पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तय्यबा और तहरीक-ए-आजादी-ए-कश्मीर यानी ताजक का नाम भी विदेशी आतंकवादी संगठन में शामिल है. इतना ही नहीं अमेरिका ने आतंकी हाफिज सईद के राजनीतिक संगठन मिल्ली मुस्लिम लीग के 7 सदस्यों को भी लश्कर-ए-तय्यबा की तरफ से आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से विदेशी आतंकवादी घोषित किया है.

एमएमएल को नहीं मिली मान्यता

हाफिज की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग पर अमेरिका ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है जब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने एक दिन पहले ही एमएमएल को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण करने के लिए आंतरिक मंत्रालय़ से जरूरी क्लियरेंस लाने को कहा है. वैसे पाकिस्तान चुनाव आयोग पहले भी एमएमएल को एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता देने से इंकरा कर चुका है. क्योंकि आंतरिक मंत्रालय ने तब प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के साथ उसके संबंधों पर आपत्ति जताई थी.

अपने संगठन के नाम बदलता रहा हाफिज

अमेरिका पर 9-11 हमलों के बाद लश्कर-ए-तय्यबा पर पाबंदी लगा दी गई थी. जिसके बाद हाफिज सईद ने पहली बार एक नई चाल चली थी. उसने लश्कर को एक नया नाम जमात-उद-दावा दे दिया. इसके बाद इसी नाम से वो पूरे पाकिस्तान और आसपास के इलाके में अपनी आतंकी कार्रवाई चलाता रहा. फिर मुंबई हमले के बाद दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए हाफिज सईद ने वही पुरानी चाल चली. जमात-उद-दावा यानी लश्कर के मजहबी चेहरे को अब एक बार फिर बदल दिया. जमात उद दावा अब बन गया था तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल.

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अमेरिका के सामने सारी पैतरेबाजी नाकाम

इसके बाद पाकिस्तानी राजनीति में दाखिल होने के लिए ही उसने मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से एक नय़ा संगठन खड़ा किया. मगर अमेरिका ने अब इस नए राजनीतिक संगठन ही नहीं बल्कि उसके अध्यक्ष समेत सात लोगों को भी विदेशी आतंकी घोषित कर दिया. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र हाफिज सईद का नाम पहले ही दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों की सूची में डाल चुके हैं. इतना ही नहीं उसके सिर पर अमेरिका ने दस मिलियन डॉलर यानी करीब 60 करोड़ का इनाम भी रखा हुआ है.

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