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कश्मीर मसले पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ चुका है, लेकिन बाज नहीं आता . अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान में अब भी भावनात्मक मसला बना हुआ है. इसका कारण यह है कि मुल्क के नेता अवाम को यह समझा पाने में नाकाम रहे हैं कि अब इस मसले पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय का साथ हासिल नहीं है.
हक्कानी का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने वाले हैं. यहां भी कश्मीर मसला उठने का अंदेशा जताया जा रहा है.
'बेखबर हैं पाकिस्तानी'
हक्कानी ने कहा, ज्यादातर पाकिस्तानी इससे बेखबर हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
परिषद से कश्मीर पर आखिरी प्रस्ताव 1957 में पारित हुआ था. पाकिस्तान को तब भी किसी का साथ नहीं मिला था.
कौन हैं हक्कानी, बयान क्यों अहम
हक्कानी फिलहाल अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण और केंद्रीय एशिया विभाग के डायरेक्टर हैं. उन्होंने ये बातें इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में कही हैं. इसके जरिये अमेरिका पाक को सख्त संदेश देना चाहता है.
'कश्मीर पर अटक
गए हैं कट्टरपंथी'
हक्कानी ने लिखा है कि भारत-पाक के लिए कारोबार बढ़ाकर रिश्ते सामान्य करने चाहिए. लेकिन पाकिस्तानी कट्टरपंथी 'कश्मीर पहले' के
मसले पर अटक गए हैं और वो जानते हैं कि ये कभी सच होने वाला नहीं है.
कश्मीर मसले पर रद्द हुई थी NSA बातचीत
हाल में भारत-पाक NSA
स्तर की बातचीत भी कश्मीर मसले को लेकर ही रद्द हुई थी. पाकिस्तान ने कहा था कि उसके लिए कश्मीर सबसे अहम मसला है और इसके बिना बात नहीं करेगा.
जबकि भारत ने कहा था बात होगी तो सिर्फ और सिर्फ आतंक पर. घबराकर पाकिस्तान वार्ता से ही भाग निकला.