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पाकिस्तान हाई कमीशन के दो अधिकारी रक्षा कर्मी से ‘कारोबारियों’ के तौर पर मिलकर संवेदनशील जानकारी मांगने वाले थे. इन दोनों पाकिस्तानी अधिकारियों को निष्कासित किया जा चुका है.
खुफिया एजेंसियों के ऑपरेशन के बाद दोनों को पकड़ा गया. एजेंसियों ने पाया कि “ये दोनों 'न्यूज रिपोर्टर्स' के लिए जानकारी इकट्ठा करने के मकसद से 'कारोबारियों' के तौर पर एक भारतीय रक्षा कर्मचारी से मिलेंगे.’’ आबिद हुसैन और मोहम्मद ताहिर दोनों पाकिस्तानी अधिकारियों को अवांछित घोषित करते हुए भारत से निष्कासित कर दिया गया.
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विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया कि नई दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन के दो अधिकारी जासूसी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से पकड़े गए. सूत्रों ने बताया कि आबिद हुसैन (42 वर्ष) की पाकिस्तान हाई कमीशन में डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेड में असिस्टेंट के तौर पर नियुक्ति थी. हुसैन पाकिस्तान के पंजाब का रहने वाला है और पाक खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम कर रहा था.
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जासूसी गतिविधियों में लिप्त हुसैन ने भारतीय रक्षा कर्मी को बताया कि वो अमृतसर का रहने वाला है. हुसैन का सहयोगी और पाकिस्तान हाई कमीशन में अपर डिविजन क्लर्क ताहिर (44) मूल रूप से इस्लामाबाद का रहने वाला है और वो हुसैन के साथ जासूसी मिशन पर था और उसके साथ ‘न्यूज रिपोर्टर्स’ के लिए जानकारी इकट्ठा करने के लिए जाने वाला था.
भारत सरकार ने दोनों अधिकारियों को अवांछित घोषित करते हुए कहा कि “उनकी गतिविधियां राजनयिक मिशन के सदस्यों के दर्जे से मेल खाने वाली नहीं थी’’ और दोनों को 24 घंटे में देश छोड़ने के लिए कहा गया.
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दोनों हर जानकारी को हासिल करने के लिए 25,000 रुपए नकद और एपल आईफोन जैसी महंगी गिफ्ट दिया करते थे. उन्हें फोन वॉलेट ऐप से पैसा मिलता था. दोनों हाई कमीशन में पिछले दो वर्ष से कार्यरत थे. पाकिस्तान के मियांवाली का मूल निवासी ड्राइवर जावेद अख्तर (36) इन्हें कार पर इधर-उधर ले जाया करता था. उसे भी गिरफ्तार किया गया है.
रडार पर थे दोनों अधिकारी
सूत्रों ने बताया कि दोनों अधिकारी संदिग्ध गतिविधियों की वजह से भारतीय एजेंसियों के रडार पर थे. ये रक्षा कर्मियों से संपर्क और जासूसी के लिए लुभाने जैसी कोशिशों में लगे थे.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने ऑपरेशन में मिलिट्री इंटेलीजेंस की मदद की. दोनों को पकड़ने वाली कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इनके पास से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज, 15000 रुपये और दो आईफोन बरामद किए. इनमें से एक आईफोन उनको अपने मुखबिर को देना था.
सूत्रों के मुताबिक दोनों ने कबूल किया कि वो जानकारी इकट्ठा करने के लिए कई और लोगों के संपर्क में थे.