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गैंगरेप के आरोपियों को पांच जूते मारने का फरमान सुनाने वाली पंचायत तलब

फरीदाबाद के एक गांव में नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला अब तूल पकड़ लिया है. गैंगरेप के आरोपियों को सजा के तौर पर महज पांच-पांच जूते मारने और 50 हजार रुपये के जुर्माने देने के पंचायत के फैसले को पुलिस और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गंभीरता से लिया है. डीसीपी, एनआईटी ने पंचायत के सदस्यों को तलब कर एसएचओ को जांच सौंप दी है.

गैंगरेप की घटना के संबंध में पंचायती फरमान पर सक्रिय पुलिस. गैंगरेप की घटना के संबंध में पंचायती फरमान पर सक्रिय पुलिस.
aajtak.in
  • फरीदाबाद,
  • 01 जून 2015,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

फरीदाबाद के एक गांव में नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला अब तूल पकड़ लिया है. गैंगरेप के आरोपियों को सजा के तौर पर महज पांच-पांच जूते मारने और 50 हजार रुपये के जुर्माने देने के पंचायत के फैसले को पुलिस और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गंभीरता से लिया है. डीसीपी, एनआईटी ने पंचायत के सदस्यों को तलब कर एसएचओ को जांच सौंप दी है.

गांव के सरपंच तय्यब के मुताबिक, पीड़ित लड़की लोगों को ब्लैकमेल करती है . उसने शिकायत वापस लेने के एवज में 1200 गज जमीन की मांग की थी. हमने यही देखते हुए आरोपियों को पांच-पांच जूते मारने और 50 हजार रुपये जुर्माना देने की सजा सुनाई है.

डीसीपी, एनआईटी पूर्ण चंद पंवार ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लिया गया है. पंचायत को तलब करके पूछताछ की जा रही है. मामले की जांच सेक्टर-55 थाने के एसएचओ को सौंप दी गई है. दोषी लोगों सजा जरूर होगी.

आयोग ने जताया कड़ा ऐतराज
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले पर कड़ा ऐतराज जताया है. आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजकुमार वेरका ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और डीजीपी यशपाल सिंघल को ऐसी पंचायतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है.

चचेरे भाइयों ने किया गैंगरेप
पीड़ित लड़की से उसके दो चचेरे भाइयों ने 12 मई को गैंगरेप किया है. पीड़िता ने बताया कि इस दिन वह पड़ोस के घर में पानी लेने गई थी. वहां गांव में ही रहने वाले दो लड़के पहले से मौजूद थे. दोनों ने उसे पकड़ लिया और गैंगरेप किया. उसके बाद जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए.

पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर गांव में पंचायत बैठी. पंचायत ने आरोपियों को 50 हजार रुपये जुर्माना भरने व पांच-पांच जूते मारे जाने का फरमान सुनाया . इसे पीड़ित पक्ष ने मानने से इनकार कर दिया और थाने में मामला दर्ज करा दिया.

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