
रेलवे और एयरलाइंस इस बार दीवाली पर यात्रियों का दीवाला निकाल रही हैं. दिवाली पर अपने घर जाने के लिए परेशान आम आदमी की बेबसी का फायदा एयरलाइंस के साथ-साथ भारतीय रेलवे भी उठा रही है. चौंकाने वाली बात ये है कि रेलवे ने त्योहारी भीड़ को देखते हुए दर्जनों स्पेशल ट्रेने चलाने का ऐलान किया है लेकिन इन स्पेशल ट्रेनों का किराया 25 से 50 फीसदी तक ज्यादा है.
किराए में हो रही अनाप-शनाप बढ़ोतरी
अगर हवाई यात्रा की बात करें तो यहां भी लोगों की जेब काटी जा रही है. एयरलाइंस में उन जगहों के लिए जहां पर डिमांड ज्यादा है किराए में अनाप-शनाप की बढ़ोतरी कर दी है. मसलन दिल्ली से लखनऊ के लिए ही हवाई किराया 26 से 27 हजार तक पहुंच चुके हैं. यानी हिंदुस्तानियों के सबसे बड़े त्योहार दिवाली में रेलवे और एयरलाइंस पैसेंजरों का दिवाला निकाल रही है.
सुविधा के नाम पर वसूल रही किराया
इस बार त्योहारी सीजन को देखते हुए रेलवे ने पिछले 1 महीने से हर दिन नई-नई स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की है. यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे अपनी शेखी बघारती घूम रही है कि उसने त्योहारी सीजन में लोगों की जरूरत के मुताबिक ट्रेनें मुहैया कराई हैं. लेकिन असलियत यह है रेल यात्रियों को सुविधा देने के नाम पर जो ट्रेनें चलाई जा रही हैं, उनमें से ज्यादातर ट्रेनें फेस्टिवल स्पेशल और सुविधा ट्रेनें हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि भले ही यह फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें कहीं जा रही हों लेकिन यह प्रीमियम ट्रेनें हैं यानी इसमें यात्री को सामान्य किराए के साथ ही तत्काल का शुल्क भी देना होगा. इसी तरह त्योहारी मांग को देखते हुए जो सुविधा ट्रेनें चलाई गई हैं, उनमें सर्ज प्राइजिंग का फॉर्मूला पहले से ही लागू है. शुद्ध ट्रेनों में 20 फीसदी सीटें फुल होने के बाद उनका किराया बढ़ जाता है. सुविधा ट्रेनों में सबसे अंत में जो टिकट बुक होते हैं, वो देर से दोगुना महंगे होते हैं.
एक्सप्रेस गाड़ियों में क्यों नहीं लगते डिब्बे?
इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि त्योहारी सीजन में स्पेशल ट्रेनें चलाने के नाम पर भारतीय रेलवे आम आदमी की जेब काट रहा है. सबसे बड़ी बात ये है कि जब स्पेशल ट्रेनों के डिब्बे पहले से ही मौजूद होते हैं तो इन्हें एक्सप्रेस गाड़ियों में क्यों नहीं लगाया जाता है. कई एक्सप्रेस गाड़ियां ऐसी हैं जो अपनी सामान्य क्षमता यानी 24 डिब्बों से भी कम डिब्बों के साथ चलती हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है की रेलवे मौजूदा गाड़ियों में ही डिब्बे क्यों नहीं बढ़ाता. अलग से स्पेशल ट्रेने घोषित करने का ढकोसला क्यों करता है.
उत्तर रेलवे ने उतारीं 150 अतिरिक्त ट्रेनें
इस सवाल का जवाब सीधा सा है कि रेल मंत्रालय को हम हिंदुस्तानी से कोई लेना देना नहीं है. उत्तर रेलवे ने हाल ही में जो 150 अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की घोषणा की है. 10 जोड़ी ट्रेनें सुविधा ट्रेन है और 7 जोड़ी ट्रेने स्पेशल ट्रेन है. ऐसे में त्योहारी सीजन में दिवाली मनाने के लिए अपने घर जाते हुए लोगों के लिए रेल मंत्री प्रभु का नहीं बल्कि ऊपर वाले प्रभु का ही सहारा है.
ज्यादा किराया लेकिन सुविधा कम
स्पेशल ट्रेनों से यात्रा करने वाले यात्रियों का कहना है कि ज्यादा किराया देने के बावजूद न तो इन ट्रेनों में कैटरिंग की सुविधा है और न ही इस बात की गारंटी है कि ये ट्रेन है राइट टाइम अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच जाएंगी. दिल्ली से पटना के लिए स्पेशल ट्रेन का टिकट बुक कराने वाले एक रेल यात्री मनोज वर्मा के मुताबिक रेलवे भी प्राइवेट कंपनियों की तरह ही आम आदमी की बेबसी का फायदा उठा रहा है घाटे के बावजूद रेलवे किराया नहीं बढ़ा पा रहा है लेकिन जब भी मौका आता है तो वह आम आदमी की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं सूख रहा है. उनका कहना है अगर उनसे ज्यादा किराया वसूलना है, तो इस स्पेशल ट्रेन चलाने के ऐलान के वक्त यह भी बताया जाना चाहिए कि इन ट्रेनों के लिए ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है.
एयरलाइंस ने भी मचाई लूट
उधर एयरलाइंस ने भी इस मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है. दिल्ली-लखनऊ के जिस रूट पर आमतौर पर ढ़ाई से तीन हजार का टिकट मिलता है, वहां का हवाई किराया 26 से 27 हजार रुपये तक पहुंच गया है. जेट एयरवेज जहां 27,841 ले रहा है तो वहीं एयरइंडिया का किराया 26,429 तक पहुंच गया है.