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चीन की चेतावनी- हिंद महासागर को अपना 'आंगन' न समझे भारत

चीन ने कहा है कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता लाने में वह भारत की विशेष भूमिका को स्वीकार करता है, लेकिन इसे भारत का 'आंगन' समझने की धारणा परेशानी का सबब बन सकती है.

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aajtak.in
  • बीजिंग,
  • 02 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST

चीन ने कहा है कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता लाने में वह भारत की विशेष भूमिका को स्वीकार करता है, लेकिन इसे भारत का 'आंगन' समझने की धारणा परेशानी का सबब बन सकती है.

चीन के राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी के सामरिक संस्थान के ऐसोसिएट प्रोफेसर और सीनियर कैप्टन झाओ यी ने बीजिंग में भारतीय पत्रकारों और चीन की यात्रा पर आए भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान कहा, 'एक खुले समुद्र और समुद्र के अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों के लिए आंगन (बैकयार्ड) शब्द का इस्तेमाल करना बहुत अधिक उचित नहीं है.'  

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समुद्र में बढ़ रहा है चीन का दखल
हिंद महासागर में चीनी नौसेना के बढ़ते दखल पर भारत की चिंताओं के बारे में किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए कैप्टन झाओ यी ने कहा, 'भूगौलिक स्थिति के हिसाब से बात करें, तो मैं यह स्वीकार करता हूं कि भारत ने हिंद महासागर और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिरता में विशेष भूमिका अदा की है.'

'हिंद महासागर में पश्च‍िमी देशों की भी आवाजाही'
कैप्टन झाओ यी ने कहा कि यदि भारत यह मानता है कि हिंद महासागर उसका आंगन है, तो कैसे अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं हिंद महासागर में मुक्त आवाजाही करती हैं? 21वीं सदी में हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित होने और इसके नतीते के रूप में कई संघर्ष छिड़ने की अमेरिकी शोधकर्ता की भविष्यवाणी का जिक्र करते हुए कैप्टन झाओ ने कहा कि वह अमेरिकी शोधकर्ता के विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते, लेकिन यदि हिंद महासागर को 'भारत का आंगन' समझने की धारणा बनी रहती है, तो ऐसी किसी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

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